सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हल हुआ मंदिर-मस्जिद विवाद, लेकिन मस्जिद की जमीन को लेकर फंसा पेंच

Report:-Rupesh srivastava/Ayodhya

अयोध्या के मंदिर मस्जिद विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भले ही हल हो गया हो लेकिन मुस्लिम पक्ष को मिलने वाली 5 एकड़ जमीन को लेकर अभी भी पेच फंसा हुआ है भले ही इसको लेकर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड आने वाले दिनों में बैठक कर फैसला करने वाला हो लेकिन उसके पहले ही बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी यह पूछ रहे हैं कि उनको जो जमीन दी गई है वह कहां है वह जमीन किस स्थान पर है उनको बताया जाए यही नहीं बाबरी मस्जिद की एक और पक्षकार बादशाह खान सीधे-सीधे कह रहे हैं की

मस्जिद विवाद

भूमि अगर लेना होगा मुसलमानों को तो जो 67 एकड़ अधिग्रहित जमीन है उसके अंदर लेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इससे पहले कह चुका है कि हम दोनों पार्टियों को इसी के अंदर जमीन देंगे । कुछ यही कहना है अंजुमन कमेटी के सचिव आजम कादरी का वह कहते हैं अभी तो यह सही नहीं हुआ की जमीन कबूल की जाएगी कि नहीं लेकिन अगर जमीन लेनी होगी तो उसी अधिग्रहीत परिसर की 67 एकड़ जमीन में से 5 एकड़ जमीन लेंगे ।

वहीं दूसरी तरफ राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य रामविलास दास वेदांती साफ तौर पर कहते हैं कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन किसी भी कीमत पर अधिकृत परिसर में नई मस्जिद का निर्माण नहीं होना है अब यकीन सरकार को तय करना है ।

इकबाल अंसारी मुद्दई बाबरी मस्जिद:- देखिए अयोध्या का मसला राम जन्म भूम बाबरी मस्जिद का है कोर्ट ने फैसला कर दिया 2.77 एकड़ भूमि को रामलला विराजमान को दे दिया गया हमने उसका सम्मान किया आज भी सम्मान कर रहे हैं हम यह चाहते हैं की पूरा मुसलमान इस बात को मान चुका है कि जहां रामलला विराजमान है वह जमीन हिंदुओं को दी गई उसका भी हमने सम्मान किया पूरे देश में अमन और शांति का माहौल रहा लेकिन जो हमें जमीन एमिली हैं वह जमीन कहां है वह जगह हमें बताई जाए हम उस जमीन का दवा पहले भी नहीं करते थे.

कोर्ट का फैसला आया उसका हमने सम्मान किया बाकी हमको बताया जाए कि जो जमीन हमको मिली है वह जमीन कहां है । कुछ ऐसा ही कह रहे हैं  परमहंस राम मंगल दास वार्ड के पार्षद हाजी असद का वह भी 67 एकड़ जमीन में ही मस्जिद बनाने के पक्ष में है यही नहीं

बादशाह खान पक्षकार बाबरी मस्जिद:- भूमि अगर लेना होगा मुसलमानों को तो जो 67 एकड़ अधिग्रहित जमीन है उसके अंदर लेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इससे पहले कह चुका है कि हम दोनों पार्टियों को इसी के अंदर जमीन देंगे.

रामविलास दास वेदांती वरिष्ठ सदस्य राम जन्मभूमि न्यास:- अधिग्रहीत भूमि पर ही जमीन देने की बात सुप्रीम कोर्ट ने नहीं की है हम  सुप्रीम कोर्ट की बात का समर्थन करते हैं सुप्रीम कोर्ट की आज्ञा का पालन करना हम लोगों का धर्म है यह तो पहले भी समझौते में लोग चाहते थे की जहां रामलला विराजमान है उसके बगल की जमीन हमें दे दिया तो मस्जिद बना ले यह बात बिल्कुल गलत है अधिग्रहीत परिसर पर किसी भी कीमत पर नई मस्जिद का निर्माण नहीं होगा और उनको यदि मस्जिद बनाना हो तो यह निर्णय भारत सरकार को करना है भारत सरकार क्या निर्णय करती है यह आने वाला समय बताएगा ।

आजम कादरी  ( सचिव अंजुमन कमेटी ) :– बाबा लोग अनर्गल बयान देते रहते हैं क्योंकि उनको चर्चा में बना रहना है इनके ऊपर सुप्रीम कोर्ट क्या संज्ञान ले रहा है जो उससे हटकर अनर्गल बात कर रहे हैं सुप्रीम कोर्ट इस बात को कह चुका है कहां देंगे एक बात दूसरी बात यह कि जमीन कहां लेंगे 5 एकड़ जमीन लेना या नहीं लेना यह भी तय नहीं है.

वक्फ बोर्ड ने भी कहा है कि 26 को हम तय करेंगे सारे लोगों में यह बात चल रही है कि हम जमीन कबूल करेंगे कि नहीं करेंगे दूसरी बात अगर जमीन लेना भी होगा तो सुप्रीम कोर्ट का एक एक्ट है जिसमें कहा गया है कि जो जीतेगा उसको 2.77 एकड़ जमीन दी जाएगी और जो हारेगा उसे उसी 67 एकड़ अधिग्रहित जमीन में जमीन दी जाएगी जबकि हम लोगों की जमीन वहां पर पड़ी हुई है.

हमारे वक्फ की भी 22 प्लाट की संपत्ति वहां पड़ी हुई है उस पर हम लोगों ने मुकदमा भी नहीं किया था वह संपत्ति हमें चाहिए और अगर हमारे लोग 5 एकड़ जमीन लेने के लिए तैयार होंगे तो उसी 67 एकड़ में जमीन हमको चाहिए 5 एकड़।

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मुझको यह कहना है कि जो माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा फैसला किया गया है उस पर किस हैसियत से लोग बयान दे रहे हैं सबसे पहले तो प्रशासन उनके ऊपर कार्यवाही करें क्योंकि वह कंटेंप्ट आफ कोर्ट कर रहे हैं उनको क्या हक है कि वह बताएं कि जमीन यहां मिलेगी वहां मिलेगी अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को दिया है की वह जगह हमको उपलब्ध कराएं अब जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है तो यह सरकार की जिम्मेदारी है.

उसके बाद हम लोगों की जो डिमांड है अगर आपको सौहार्द बनाना है तो सौहार्द की आप मिसाल पेश करना चाहते हैं तो मंदिर और मस्जिद अगल-बगल बना दीजिए 67 एकड़ सरकार के पास है उसमें हमको दिया जाए हम लोगों की डिमांड है बाकी कौन मानेगा कौन नहीं मानेगा यह तो बात की बात है लेकिन सभी मुस्लिम पक्षकारों को बुलाकर उनसे राय मशवरा करके मस्जिद कहां बनेगी जमीन कहां ली जाएगी तय करेंगे बाकी किसी को कोई अधिकार नहीं है

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