दोस्ती पर सवाल : भारत और चीन नहीं पाकिस्तान के इशारे पर नाच रहे ये तीन मुस्लिम देश

सीपीईसीनई दिल्ली। ईरान, सऊदी अरब और अफगानिस्तान एशिया में अपनी जगह मजबूत करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। हाल यह है कि इन तीनों देशों ने एक तरफ अपना व्यापार बेहतर करने के लिए भारत के साथ चाबहार पोर्ट बनाने का समझौता किया। दूसरी तरह, बहुप्रतिष्ठित चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर यानी सीपीईसी पर भी इनकी नजर पड़ गई है।

पाकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत डॉक्टर उमर ज़खीलवाल ने कहा है कि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर (सीपीईसी) हमारे देश के लिए भी फायदे का सौदा है, इसलिए अफगानिस्तान भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना चाहता है।

उमर ज़खीलवाल डॉन न्यूज से बातचीत में कहा, ‘सीपीईसी एक बड़ा प्रोजेक्ट है। यह जितना पाकिस्तान के लिए फायदेमंद है, उतना ही अफगानिस्तान और इस क्षेत्र के देशों के लिए भी फायदेमंद है।’

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान विकास के लिए भूखा है और पाकिस्तान ही इस भूख को मिटा सकता है। पाकिस्तान ही अफगानिस्तान की भूमि को बेहतर बना सकता है।

उमर ज़खीलवाल ने कहा कि काबुल इस प्रोजेक्ट में अपनी भागीदारी के लिए तैयार है। इस प्रोजेक्ट के जरिए ही अफगानिस्तान अपनी धरती को आतंक से हुए नुकसान से बाहर निकाल सकता है।

उन्होंने अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम का जिक्र करते हुए कहा, ‘जिस तरह हमारी क्रिकेट टीम ने टॉप 10 में जगह बनाई है, उसी तरह हम भी आपके लिए फायदे का सौदा साबित हो सकते हैं।’

अफगानिस्तान से पहले ईरान और सऊदी अरब भी सीपीईसी के लिए अपनी लालसा जाहिर कर चुके हैं। ईरान और सऊदी अरब ने यहां तक कहा है कि दोनों ही इस्लामी देश सीपीईसी के लिए मिलकर काम करने को तैयार हैं।

पाकिस्तान भी सीपीईसी के जरिए अपने दोस्तों की गिनती बढ़ाना चाहता है। चीन इस प्रोजेक्ट पर पैसे खर्च कर रहा है और पाकिस्तान इससे अपना व्यापार बढ़ाने के साथ भारत के खिलाफ दोस्तों की गिनती बढ़ाने के मूड में है।

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