शिशुओं में दिखने वाले ये लक्षण हो सकते हैं सांस की बीमारी के संकेत

शिशु जब गर्भ से बाहर आता है तब वह रोते हुए आता है। क्या आप जानते हैं इसका कारण क्या है? इसका कारण यह है कि गर्भ में तो शिशु मां के गर्भनाल से जुड़ा रहता है और उसी से अपने विकास के लिए जरूरी तत्व पाता है। मगर गर्भ से बाहर आने के बाद उसे ढेर सारी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। रोते समय शिशु के फेफड़े ज्यादा ऑक्सीजन खींचते हैं। यही कारण है कि जो शिशु रोते हुए नहीं पैदा होते हैं, उन्हें चिकित्सक तुरंत ऑक्सीजन देने की व्यवस्था करते हैं।

 शिशुओं में दिखने वाले ये लक्षण हो सकते हैं सांस की बीमारी के संकेत

कई बार ऐसा होता है कि शिशुओं को सांस लेने में परेशानी होती है। चूंकि शिशु आपसे अपनी परेशानी बता नहीं सकता, इसलिए कुछ लक्षणों के द्वारा शिशु में सांस की समस्या का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे में अगर शिशु में सांस संबंधी ये लक्षण दिखें, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।

शिशु कैसे सांस लेता है, ये आपको पता होना चाहिए
आमतौर पर नवजात शिशु सोते समय छोटी-छोटी सांस लेने से शुरू करते हैं। धीरे-धीरे उसकी सांसे बढ़ते-बढ़ते तेज और गहरी होने लगती हैं। कुछ समय बाद वह फिर से धीरे और हल्की हो जाती हैं। इस तरह क्रम के अनुसार वो सांस लेते हुए सोते हैं।

इसके साथ ही आपको बता दें कि सामान्यतः शिशु 5 सेकंड या इससे ज्यादा समय तक अपनी सांस रोक भी सकते हैं। जब शिशु के फेफड़े धीरे-धीरे पूरे विकसित हो जाते हैं, तो वो सामान्य तरीके से सांस लेने लगता है।

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सांस लेते समय घरघराहट की आवाज
अगर शिशु के सांस लेते समय कभी-कभार घरघराहट की आवाज सुनाई देती है, तो ये सामान्य है। मगर यदि शिशु के सांस लेने के दौरान हर बार घरघराहट की आवाज सुनाई देती है और शिशु के नाक सामान्य से ज्यादा फूल रहे हैं, तो ये सांस की तकलीफ के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए बिना देरी किए आप चिकित्सक से संपर्क करें। घरघराहट सुनने के लिए शिशु के नाक के पास कान लगाएं।

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एक मिनट में 60 बार से ज्यादा सांस लेना
अगर शिशु अचानक बहुत जल्दी-जल्दी सांस लेने लगा है और उसे रोने में परेशानी हो रही है, तो ये सांस की समस्या का संकेत है। ऐसी स्थिति में जितनी जल्दी हो सके चिकित्सक को दिखाएं अन्यथा शिशु को गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

रोते समय छाती बहुत ज्यादा ऊपर नीचे होना
अगर रोते समय शिशु की छाती बहुत तेजी से ऊपर नीचे हो रही है या शिशु को गर्दन में दबाव के कारण वह रुक-रुक कर रो रहा है, तो ये भी सांस की समस्या का संकेत है। ये एक गंभीर स्थिति है इसलिए शिशु को तत्काल चिकित्सीय सहायता पहुंचाएं।

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रोते समय कर्कश आवाज
जब बच्चा रोने लगे या फिर चिल्लाएं तो उस दौरान यदि आवाज में गड़बड़ हो, आवाज कर्कश हो या फिर बलगम निकलें तो ऐसा श्वसन नली के मार्ग में बलगम फंसने से होता है। कई बार बच्‍चे के रोने के कारण समझ नहीं आते लेकिन नाक में समस्‍या होने के कारण भी बच्‍चे रोने लगते हैं।

अचानक शिशु का रंग बदलने लगना
शिशु की रंगत में बदलाव और उसके होंठ और हाथों व पैरों की उंगलियां नीली दिखाई देना। ये नीला रंग इस बात का संकेत हो सकता है कि शिशु के फेफड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है।

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