सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा-1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान सर्वदलीय बैठक के बाद ही प्रश्नकाल को रद्द गया था किया

संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले ही सरकार और विपक्ष आमने-सामने है. 14 सितंबर से शुरू हो रहे मानसूत्र में प्रश्नकाल नहीं होगा. कोरोना संकट का हवाला देते हुए सरकार ने इसे रद्द कर दिया है. सरकार के इस फैसले पर विपक्ष हमलावर हो गया है. एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. 

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान सर्वदलीय बैठक के बाद ही प्रश्नकाल को रद्द किया गया था. लेकिन मोदी सरकार ने प्रश्नकाल रद्द करने को लेकर सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई.

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जब स्टैंडिंग कमेटी की बैठकें हो रही हैं और यहां तक ​​कि JEE-NEET की परीक्षा हो रही है तो संसद शुरू होने के पहले सर्वदलीय बैठक बुलाकर सलाह क्यों नहीं ली गई. 

वहीं, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह ने प्रश्नकाल को रद्द करने पर मेरी सहमति मांगी, क्योंकि संसद सत्र असाधारण स्थिति में होने जा रहा है. मैंने उनसे कहा कि प्रश्नकाल को खत्म नहीं करना चाहिए. हमने प्रश्नकाल की बहाली की मांग की है. 

बता दें कि 14 सितंबर से शुरू होने वाला मानसून सत्र बिना कोई अवकाश के 1 अक्टूबर तक चलेगा. सरकार की ओर से जारी किए गए शेड्यूल के मुताबिक, प्रश्नकाल को रद्द कर दिया गया है. तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सरकार के फैसले पर यहां तक कह दिया कि महामारी की आड़ में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है.

वहीं, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट किया कि मैंने चार महीने पहले कहा था कि मजबूत नेता महामारी को लोकतंत्र को खत्म करने के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं. संसद सत्र का नोटिफिकेशन ये बता रहा है कि इस बार प्रश्नकाल नहीं होगा. हमें सुरक्षित रखने के नाम पर ये कितना सही है?

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