कांग्रेस ने सहारा डायरी की जांच की मांग दोहराई

सहारा डायरी रिश्वतनई दिल्ली| सहारा समूह से रिश्वत लेने वालों की सूची में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की कांग्रेस की उम्मीदवार शीला दीक्षित का नाम होने के बावजूद कांग्रेस ने मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सहारा डायरी रिश्वत मामले की जांच करानी चाहिए। डायरी में सहारा समूह से रिश्वत लेने वालों की सूची में कथित तौर पर मोदी का नाम भी है। उस वक्त मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।

सहारा डायरी रिश्वत मामला

शीला दीक्षित ने इस तरह की किसी डायरी के बारे में जानकारी होने से इनकार किया, जबकि कांग्रेस ने जोर दिया कि उनके इनकार करने से गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान नरेंद्र मोदी द्वारा सहारा समूह से रिश्वत लेने के राहुल गांधी के आरोपों की गंभीरता कम नहीं हो जाती। पार्टी ने कहा है कि डायरी में जिनके भी नाम हैं, सभी की जांच हो, चाहे कोई कांग्रेस का ही क्यों न हो।

गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान नरेंद्र मोदी द्वारा सहारा समूह से रिश्वत लेने के राहुल गांधी के आरोपों को प्रमाणित करने के लिए पार्टी ने ट्विटर पर शीला दीक्षित सहित विभिन्न राजनीतिज्ञों को भुगतान करने की इंट्री की सूची पोस्ट की। शीला दीक्षित पार्टी की तरफ से उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार हैं।

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें डायरी के बारे में कुछ याद नहीं है और जोर दिया कि उनका किसी डायरी से ‘कोई लेना-देना नहीं’ है।

सूची के मुताबिक, शीला दीक्षित को 23 सितम्बर, 2013 को दिल्ली में एक करोड़ रुपये की रकम दी गई। वह दिसम्बर 2013 तक वह दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं। इस सूची में नरेंद्र मोदी का भी नाम है।

कांग्रेस ने जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को इस मामले की जांच करानी चाहिए, भले ही उसमें शीला दीक्षित का नाम है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा ने कहा, “हम इस बात से पूरी तरह अवगत हैं कि कई राजनीतिक पार्टियों व नेताओं, मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोगों के नाम दस्तावेज में शामिल हैं।”

उन्होंने कहा, “कांग्रेस के किसी नेता का नाम हो या नहीं, यह मायने नहीं रखता। मायने यह रखता है कि उसमें प्रधानमंत्री का नाम है।”

प्रवक्ता ने कहा, “दस्तावेजों के आधार पर इस वक्त मोदी पर आरोप लगा है, उन्हें खुद जांच के लिए कहना चाहिए।”

यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी मुद्दे की जांच शीला दीक्षित की कीमत पर चाहती है, झा ने कहा, “दस्तावेजों में जिन राजनीतिक पार्टियों व नेताओं के नाम हैं, उनकी जांच की जानी चाहिए और इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री से होनी चाहिए।”

झा ने कहा, “हमें यह जानने की जरूरत है कि भ्रष्टाचार हुआ या नहीं। चूंकि मोदी देश के वरिष्ठतम राजनीतिक अधिकारी हैं, इसलिए उन्हें खुद की निष्पक्ष व तटस्थ जांच कराने की जरूरत है।”

उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाए।

प्रवक्ता ने कहा, “अगर वह (मोदी) निर्दोष हैं, तो फिर वह डरे हुए क्यों हैं? उन्हें उन राजनीतिक पार्टियों की जांच करानी चाहिए, जिनके नाम सूची में हैं।”

शीला दीक्षित द्वारा डायरी के वजूद के बारे में जानकारी न होने की बात का हवाला देते हुए भाजपा ने कांग्रेस और राहुल गांधी को आड़े हाथ लिया। लेकिन, कांग्रेस नेता पी.सी.चाको ने कहा कि अन्य नामों की मौजूदगी से मोदी के खिलाफ आरोप कम नहीं हो जाते।

चाको ने कहा, “शीला दीक्षित ने कहा है कि उन्हें डायरी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने राहुल गांधी द्वारा मोदी पर लगाए गए आरोपों के बारे में कुछ नहीं कहा है।”

उन्होंने कहा, “इससे किसी भी तरह से मोदी के खिलाफ लगे आरोपों की गंभीरता कम नहीं हो जाती, खासकर तब जब उन आरोपों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। यही कारण है कि हम निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।”

कांग्रेस का मजाक उड़ाते हुए भाजपा नेता रीता बहुगुणा ने कहा कि इन सबका उद्देश्य लोगों का ध्यान अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले से भटकाने के लिए है।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं रीता बहुगुणा ने स्वराज अभियान के नेता प्रशांत भूषण द्वारा मामले को उठाने के हवाले से कहा, “सर्वोच्च न्यायालय पहले ही कह चुका है कि आरोपों के पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं है, ऐसे में जांच की गुंजाइश कहां है।”

उन्होंने कहा, “क्या कांग्रेस सोचती है कि वह सर्वोच्च न्यायालय से भी ऊपर है? यह और कुछ नहीं, बल्कि उनका उद्देश्य लोगों का ध्यान अपने घोटाले से भटकाने पर है।”

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने भी आरोपों की आलोचना करते हुए कहा है कि यह कदम ‘मरे हुए घोड़े को चाबुक मारने’ के समान है।

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