शीतला अष्‍टमी : महाभारतकालीन स्वर्ण प्रतिमा है आकर्षण का केन्द्र

शीतला माताजबलपुर। शीतलाष्‍टमी पर आज देशभर में शीतला माता की पूजा अर्चना होगी। शीतला माता के मंदिर पर भक्तों की भीड़ लगेगी। लेकिन माता का एक ऐसा मंदिर भी है, जहां रोजाना श्रद्धालुओं की भीड़ कभी कम नहीं होती। गुुड़गांव के शीतला माता के इस मंदिर में मां की सवा किलो सोने की प्रतिमा लगी है।

शीतला माता का महाभारतकालीन मंदिर

यह प्रतिमा महाभारतकालीन है। हालांकि इतिहासविदों के मुताबिक सन् 1650 में भरतपुर के महाराजा ने सती कृपि का मंदिर बनवाया और उनकी स्वर्ण प्रतिमा लगवाई। समय के साथ मंदिर की भव्यता बढ़ती गई। आज यहां शीतला अष्टमी और नवरात्र पर बड़ी संख्या में भक्त पूजा अर्चना करने आते हैं।

हर मनोकामना पूरी होगी

यहां गुरु द्रोणाचार्य के अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण केन्द्र था। कौरव-पांडव अस्त्र विद्या ग्रहण करते थे। मान्यता है कि महाभारत के जब युद्ध के दौरान गुरु द्रोण वीरगति को प्राप्त हुए तो उनकी पत्नी कृपि उनकी चिता के साथ सती हो गईं और देवी स्वरूप को प्राप्त हुईं। सती होते समय उन्होंने कहा कि यहां पूजा करने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होगी।

यहां नवजात शिशुओं के बालों का प्रथम मुंडन कराने की परंपरा है। हर साल एक माह तक चलने वाले मेले में लाखों की संख्या में बच्चों के मुंडन होते हैं। जिससे शीतला माता श्राइन बोर्ड को 50 लाख से अधिक की आय होती है। माना जाता है कि यहां पूजा करने से चेचक रोग भी दूर हो जाता है।

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