शहाबुद्दीन को सुप्रीम नोटिस, पूछा क्यों नहीं जमानत रद्द की जाए

सुप्रीमनई दिल्ली। बिहार के बाहुबली एवं राजद नेता मोहम्‍मद शहाबुद्दीन की जमानत याचिका रद्द करने की याचिका से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्‍यो न उनकी जमानत रद्द कर दी जाये।

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के जमानत के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार करते हुए अगली सुनवाई सोमवार यानी 26 सितंबर को करने का फैसला किया है।

कोर्ट का मानना है कि फैसला लेने से पहले शहाबुद्दीन का पक्ष भी सुना जाये। वही बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि शहाबुद्दीन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जाए, वह कोई सामान्य अपराधी नहीं है, उसे जेल से बाहर नहीं रखा जा सकता है।

बिहार में मारे गए तीन भाइयों के पिता चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदाबाबू ने याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी।  इसके बाद बिहार सरकार भी आनन-फानन में कोर्ट पहुंची थी। शहाबुद्दीन को पिछले 7 सितंबर को पटना हाईकोर्ट ने जमानत दी थी.

मालूम हो कि, वर्ष 2004 में दो भाइयों गिरीश और सतीश की हत्या के मामले में शहाबुद्दीन को दिसंबर 2015 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। मामले में इकलौते गवाह मृतकों के भाई राजीव रोशन की भी 16 जून 2014 को हत्या कर दी गई थी।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पटना हाईकोर्ट का जमानत देने का आदेश कानून का मजाक उड़ाना है, क्योंकि हत्या के केस में अभी तक गवाहों के बयान भी दर्ज नहीं हुए हैं। साथ ही हाईकोर्ट ने इस तथ्य को भी अनदेखा कर दिया कि शहाबुद्दीन पर 13 मई 2016 को सिवान में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या का भी आरोप है। इसके अलावा 18 मई 2016 को सिवान जेल में छापे के दौरान उसके पास से कई आपित्‍तजनक वस्‍तुएं बरामद हुई थी।

 

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