वो हॉलीवुड के फिल्म निर्माता जिसने मनोरंजन की दुनिया में जादू को किया जिवंत, कहलाए ‘फादर ऑफ़ स्पेशल इफेक्ट्स’ 

सिनेमा चाहे जो भी हो, इन दोनों ही दुनिया में ऐसे नाम रहे हैं जिसे आज भी दुनिया उनके काम से जानती है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं हॉलीवुड के एक ऐसे निर्माता के बारे में जिसने सिनेमा की दुनिया की तस्वीर ही बदल कर रख दी.

जॉर्ज

 

जॉर्ज मेलिस का नाम साइंस-फिक्शन जादूगर के तौर पर लिया जाता है। 8 दिसबंर, 1861 को पेरिस में जन्में जॉर्ज ने सिनेमा के शुरुआती दौर में कई तकनीकी और कथात्मक विकास में अपना अहम योगदान दिया।

जॉर्ज मेलिस ‘ए ट्रिप टू द मून (1902)’, द इम्पॉसिबल वॉयज (1904) जैसी शुरुआती साइंस फिक्शन फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 1896 से 1912 के बीच तकरीबन 520 फिल्मों का निर्माण किया।

उन्होंने अपनी फिल्मों में लगभग सभी विषयों फैंटसी, कॉमेडी, विज्ञापन, सैटायर, कॉस्ट्यूम ड्रामा, इरॉटिक फिल्में, मेलोड्रामा, साइंस-फिक्शन सभी पर काम किया। उनका निधन 21 जनवरी, 1938 को हुआ था।

जॉर्ज मेलिस के पिता जूतों की फैक्ट्री में काम करते थे। इस वजह से उन्हें लंदन जाना पड़ा। वहां की सड़कों पर जादू देखकर जॉर्ज मेलिस इतने प्रभावित हुए कि खुद जादूगर बन बैठे।

जॉर्ज ने अपने जादू की ट्रिक्स का इस्तेमाल सिनेमा में किया। ये वो दौर था जब सिनेमा के आविष्कार के 2-3 साल ही हुए थे। उन्होंने लोगों को गायब करने, हवा में उड़ाने जैसी जादूगरी भरी कहानियां लिखी और सिनेमा के रूप में पर्दे पर उतारा।

जॉर्ज को ‘ए ट्रिप टू द मून’ के लिए याद किया जाता है। यह फिल्म आदमी के चंद्रमा पर जाने और वहां से वापस आने की कहानी थी। खास बात ये थी कि ये फिल्म 1902 में बनी जबकि राइट ब्रदर्स ने हवाई जहाज का आविष्कार 1903 में किया था।

फिल्मों में पहली बार स्पेशल इफेक्ट्स लाने का श्रेय भी जॉर्ज को जाता है। जॉर्ज को ‘फादर ऑ स्पेशल इफेक्ट्स’ भी कहा जाता है। कैमरे को बीच में रोक कर ऑब्जेक्ट को अपनी जगह से हटाकर फिर से कैमरा चलाने की ट्रिक का इस्तेमान उन्होंने ही सबसे पहले किया। इससे ऑब्जेक्ट के गायब हो जाने का स्पेशल इफेक्ट पैदा होता था।

1909 में अचानक जॉर्ज ने फिल्में बनानी बंद कर दीं। 1910 में उन्होंने फिल्मी दुनिया में वापसी की लेकिन समय बदल चुका था। लोगों की पसंद बदल चुकी थी। अगले दो सालों में उन्होंने बहुत कम फिल्में बनाईं। जॉर्ज की फिल्में नहीं चल रही थीं उनपर कर्ज बढ़ता गया। उन्होंने फिल्म बनानी छोड़ दी जो कभी उनकी आत्मा थी। और आखिरकार 1938 में 76 साल की उम्र में कैंसर की वजह से उनका निधन हो गया।

 

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