वर्कआउट के दौरान इन 5 तरह की चोटों का रहता है खतरा, जानें बचाव का तरीका
वर्कआउट के दौरान लोगों को किस तरह की इंजरी हो सकती है, इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, जानने के लिए पढ़ें यह लेख।
शरीर को फिट और ऐक्टिव बनाए रखने के लिए आजकल लोगों में जिम जाने का चलन बढ़ता जा रहा है। सही जानकारी के अभाव में एक्सरसाइज़ के दौरान होने वाली छोटी-छोटी गलतियां लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाती हैं। वर्कआउट के दौरान लोगों को किस तरह की इंजरी हो सकती है, इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, जानने के लिए पढ़ें यह लेख।
मसल्स में खिंचाव
शुरुआती दौर में वर्कआउट करने वाले लोगों को अकसर कंधे, हाथ, गर्दन या कमर की नसों में खिंचाव महसूस होता है। इसकी वजह से झुकने, उठने-बैठने या हाथों से कोई सामान उठाने में तकलीफ होती है।
क्या करें : आमतौर पर प्रैक्टिस से धीरे-धीरे समस्या दूर हो जाती है। अगर दर्द ज़्यादा हो तुरंत अपने ट्रेनर को इसकी जानकारी दें।
ओवर यूज़ स्ट्रेस
कई बार लोग जिम में काफी देर तक वर्कआउट करते हैं, जिससे उनके पूरे शरीर में तेज़ दर्द होने लगता है। इसी समस्या को ओवर यूज़ स्ट्रेस कहा जाता है।
क्या करें : एक ही दिन में अपनी क्षमता से अधिक वर्कआउट करने की कोशिश न करें, इससे फायदे के बजाय नुकसान ही होता है। प्रैक्टिस के साथ धीरे-धीरे अपने वर्कआउट की टाइमिंग बढ़ाएं।
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कार्टिलेज टियर्स
जोड़ों की सुरक्षा के लिए सॉफ्ट टिश्यूज़ का कुशन सा बना होता होता है, कई बार गलत तरीके से एक्सरसाइज़ करने के कारण इन कार्टिलेज में गड्ढा सा बन जाता है, जिसे कार्टिलेज टियर्स कहा जाता है।
क्या करें : बिना देर किए अस्थि रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। अगर चोट गहरी हो तो लेप्रोस्कोपी के ज़रिये क्षतिग्रस्त टिश्यूज़ की मरम्मत की भी ज़रूरत पड़ती है।
शोल्डर इंपिंजमेंट
एक्सरसाइज़ के दौरान कुछ लोग कंधे पर अधिक ज़ोर डालते हैं तो इससे कमज़ोर मांसपेशियां अकड़ जाती हैं। कंधे की इन मसल्स को रोटेटर कफ कहा जाता है। जब ये मांसपेशियां हड्डियों पर दबाव डालती हैं तो इससे दर्द होता है और इसी समस्या को शोल्डर इंपिंजमेंट कहा जाता है।
क्या करें : कंधे के दर्द को अनदेखा न करें। कई बार टूटी-फूटी मसल्स को जोडऩे के लिए लेप्रोस्कोपी की मदद से सर्जरी की भी ज़रूरत पड़ती है।
एंकल या रिस्ट में खिंचाव
कुछ लोग सही फिटिंग के जूते नहीं पहनते, इसलिए वॉर्मअप के लिए दौड़ते समय उनके एंकल में मोच आ जाती है। इसी तरह झटके से वेट लिफ्टिंग करने वालों को कई बार कलाई में मोच आ जाती है।
क्या करें : हमेशा सही फिटिंग के जूते पहनें और पहली बार में ही अधिक वज़न उठाने की कोशिश न करें।
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कमर में दर्द
वेट लिफ्टिंग करने वाले लोग अगर अपनी क्षमता से अधिक वज़न उठा लें तो उन्हें लोअर बैक पेन या स्लिप डिस्क का खतरा हो सकता है।
क्या करें : कमर में दर्द में हो तो उसे नज़रअंदाज़ न करें, तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और उसके निर्देशों का पालन करें।