लखनवी आम पर भारी पड़ा ‘सहारनपुरी ब्रांड’

लखनवी आमलखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी व उसके आसपास के इलाके में पैदा होने लखनवी आम की धाक देश के साथ विदेशों में भी है, लेकिन पिछले पांच वर्षो में उप्र से विदेशों में निर्यात होने वाले आम के आंकड़ों पर गौर करें तो ‘सहरानपुरी ब्रांड’ ने लखनऊ नवाब को पीछे छोड़ दिया है।

लखनवी आम पड़ रहा फीका

आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वर्ष लखनऊ से करीब 10 गुना ज्यादा आम सहारनपुर से विदेशों में निर्यात किए गए। इस बार आम की बंपर फसल होने की वजह से आम का उत्पादन 50 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचने का अनुमान है। यानी फलों का राजा (आम) आम आदमी की पहुंच में भी रहेगा और इसका निर्यात भी बढ़ेगा।

बागों में आम की बहार देखकर उप्र के उद्यान विभाग ही नहीं, मंडी परिषद के अधिकारियों के भी चेहरे खिले हुए हैं। आम उत्पादक संघ से जुड़े आम उत्पादकों की मानें तो दहशहरी, लंगड़ा व चौसा प्रजातियों की मांग विदेशों में ज्यादा है। आम उत्पादकों में शामिल बड़े व्यवसायी एस.सी. शुक्ला ने बातचीत के दौरान बताया कि अरब, अमेरिका व मध्य-पूर्व के देशों के साथ अब रूस ने भी भारतीय आम खरीदने में अपनी दिलचस्पी दिखाई है।

उद्यान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2011 में सहरानपुर से आम का निर्यात 61.58 मीट्रिक टन हुआ, जबकि लखनऊ से आम का निर्यात सिर्फ 14 मीट्रिक टन हुआ। वर्ष 2012 में सहारनपुर से आम का निर्यात 30.70 मीट्रिक टन हुआ तो लखनऊ से सिर्फ 28 मीट्रिक टन आम का निर्यात ही विदेशों में हो पाया।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2013 में लखनवी आम ने एक बार फिर सहारनपुरी आम को निर्यात के मामले में पीछे छोड़ दिया। वर्ष 2013 में सहारपुरी आम का निर्यात महज 13 मीट्रिक टन हुआ, जबकि लखनवी आम का निर्यात 22 मीट्रिक टन रहा। वर्ष 2014 में सहारपुरी आम ने एक बार फिर विदेशों में अपनी बड़ी उपस्थिति दर्ज कराई। सहारनपुरी का आम का निर्यात इस वर्ष 140 मीट्रिक टन तक पहुंच गया। इस वर्ष लखनऊ से 49 मीट्रिक टन आम का निर्यात विदेशों में हुआ।

पिछले वर्ष 2015 में सहारपुर से 306 मीट्रिक टन आम का निर्यात विदेशों में हुआ, जबकि लखनऊ से महज 30 मीट्रिक टन आम का निर्यात विदेशों में हुआ। इधर, मंडी परिषद के निदेशक अनूप यादव के मुताबिक, लखनऊ व सहारपुर मैंगो पैक हाउस से नवाब ब्रांड आम के निर्यात में सरकार अनुदान या भाड़े में छूट देती है। इसका असर आने वाले दिनों में दिखेगा। उल्लेखनीय है कि आम का निर्यात जिन देशों में होता है उसमें दुबई, कुवैत, बहरीन, ओमान, अरब, जापान, ऑस्ट्रेलिया व कतर शामिल हैं।

निर्यात के मामले में सहारपुरी ब्रांड से पिछड़ रहे लखनवी नवाब के बारे में शुक्ला ने कहा, “सहारनपुर में ज्यादातर चौंसा, मालदा व हरा लंगड़ा प्रजाति के आम होते हैं। इनकी सेल्फ लाइफ 10 से 12 दिनों तक रहती है, जबकि लखनवी में ज्यादातर तो दशहरी आम ही होते हैं। यह तीन से चार दिनों के भीतर खराब हो जाते हैं।”

शुक्ला ने बताया कि निर्यात के समय इन बातों पर भी खासतौर से ध्यान दिया जाता है। दूसरी वजह यह है कि दिल्ली से सटे होने की वजह से सहारनपुर के किसान आम की फसलों के बारे में ज्यादा जानते हैं। सहारपुर के किसान ग्रोइंग नेचर के होते हैं, जबकि लखनऊ के आम उत्पादकों में इस तरह की सोच का आभाव है।

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