लखनऊ विश्‍वविद्यालय में हो रहा छात्राओं का शारीरिक शोषण

लखनऊ विश्‍वविद्यालय

लखनऊ। समय-समय पर शैक्षणिक संस्‍थानों में वहां पढ़ने वाली छात्राओं के शोषण की खबरें बाती रही हैं। ऐसा ही कुछ मामला लखनऊ विश्‍वविद्यालय में सामने आया है। यहां के कई विभागों में पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी की छात्राओं ने लेक्चरर पर मानसिक व शारीरिक शोषण के आरोप लगाए हैं। छात्राओं के परिजनों ने कुलाधिपति व राज्यपाल राम नाईक को पत्र भेजकर शोषण के विरूद्ध गुहार लगाई है। परिजनों का सीधा आरोप है कि मानसिक और शारीरिक शोषण की वजह से वे अपने बच्चों की पढ़ाई छुड़ाने को मजबूर हो रहे हैं। वहीं राजभवन ने भी इस बेहद गंभीर मामले पर यूनिवर्सिटी प्रशासन से जवाब-तलब किया है।

लखनऊ विश्‍वविद्यालय में हो रही शर्मनाक हरकत की शिकायत कई अभिभावकों ने बीती 15 जुलाई को राज्यपाल से की है। राज्यपाल को भेजे पत्र में अभिभावकों ने कहा कि उनकी बेटियों को पीजी और पीएचडी करने के दौरान असहनीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है। सोशल वर्क, समाजशास्त्र और बॉटनी विभाग का नाम उजागर करते हुए कहा कि जिन लेक्चरर के अधीन छात्राओं को पीजी और पीएचडी कोर्स प्रोजेक्ट पास करना होता हैं, उनकी नाजायज मांगे भी मानने के लिए उन्हें बाध्य किया जा रहा है।

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अभिवावकों ने पत्र में लिखा है कि देर शाम तक छात्राओं को रुक कर प्रोजेक्ट को पूरा करने का दबाव डाला जाता हैं। इसमें से कुछ छात्राएं जो कैलाश हॉस्टल या दूसरे ग‌र्ल्स हॉस्टल में रहती हैं, उन्हें गाइड लेक्चरर द्वारा देर तक रुकने को कहा जाता है। इस दौरान उनके साथ छेड़खानी भी होती है। विरोध करने पर लेक्चरर द्वारा फेल किए जाने की धमकी दी जाती है। कई बार उन्होंने शिकायत करने का प्रयास भी किया लेकिन बदनामी के डर से पीछे हट गयीं। बाद में कुछ छात्राओं ने अपने परिजनों को इस बारे में बताया जिसके बाद मामले की शिकायत राजभवन में की गयी।

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वहीं लखनऊ विश्‍वविद्यालय के वीसी से पत्र के बाबत पूंछे जाने पर उन्‍होंने कहा कि राजभवन से एक लेटर हमारे पास आया है, जिसकी जांच शुरू करा दी गई है। ऐसे सभी छात्राओं व हॉस्टल की छात्राओं से जानकारी प्राप्त की जा रही है, जांच में जो भी दोषी पाया जायेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।

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