रिसर्च में हुआ खुलासा ! मल – मूत्र से कितना कमा सकते हैं आप…

कभी अपने ये सोचा हैं की आपका मल – मूत्र कितनी कीमत हो सकती हैं उसकी।  वहीं बतादें की रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ हैं की आपके मल – मूत्र की कीमत बहुत ही ज्यादा है।
खबरों की माने तो  क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी की एक प्रयोगशाला कुछ असामान्य नमूनों को इकट्ठा कर रही है। ये नमूने ऑस्ट्रेलिया की 20 फीसदी से ज्यादा आबादी के मानव अपशिष्टों यानी मल-मूत्र के हैं।
जहां देश भर के अपशिष्ट जल शोधन संयंत्रों से नमूने लेकर, उन्हें ठंडा करके यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को भेजा गया है। इन नमूनों को ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न समुदायों के आहार और दवा की आदतों के बारे में जानकारियों का खजाना माना जा रहा है। ये नमूने 2016 में हुई ऑस्ट्रेलिया की आखिरी राष्ट्रीय जनगणना के समय जमा किए गए थे।

रिसर्च फेलो जेक ओ ब्रायन और पीएचडी कैंडिडेट फिल चोई ने ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न समुदायों के आहार और जीवनशैली संबंधी आदतों को मापने के लिए इन नमूनों का विश्लेषण किया।

उन्होंने पाया कि सामाजिक-आर्थिक रूप से संपन्न इलाकों में फाइबर (रेशेदार भोजन), सिट्रस (खट्टे फल) और कैफीन (चाय-कॉफी) की खपत अधिक थी। कम संपन्न इलाकों में डॉक्टरी दवाइयों की खपत ज्यादा थी। संक्षेप में कहें तो शोधकर्ताओं ने पाया कि अमीर समुदाय का आहार अधिक सेहतमंद था। ये सारी सूचनाएं उस समुदाय के मल-मूत्र में छिपी हुई थीं।

पहले के शोधकर्ताओं ने सैद्धांतिक रूप से माना था कि ऐसी जांच संभव है। गटर के पानी की जांच करके किसी समुदाय के भोजन और दवाइयों की खपत के बारे में भरोसेमंद जानकारी हासिल की जा सकती है। इस अध्ययन में पहली बार उसे अमल में लाने की कोशिश की गई।

कुछ शोध टीमें बीमारियां फैलने से पहले उसका पता लगाने में इसके इस्तेमाल के बारे में सोच रही हैं, लेकिन आहार के बारे में पता लगाने के लिए इस तरह की जांच अब तक सैद्धांतिक ही थी। आहार और वैध दवाइओं की खपत का पता लगाने के लिए सर्वेक्षणों का इस्तेमाल होता है, लेकिन गटर के पानी का विश्लेषण करके किसी खास जलग्रहण क्षेत्र में उनके औसत उपयोग को मापा जा सकता है।

शोधकर्ताओं के सामने शुरुआती चुनौती यह थी कि वे क्या परीक्षण कर सकते हैं। गटर के पानी में सिर्फ मल-मूत्र नहीं होता, उसमें पर्सनल केयर उत्पाद, भोजन के टुकड़े, औद्योगिक और व्यावसायिक कचरा भी होता है। शोधकर्ताओं को भोजन के उन जैव संकेतकों को खोजना था जो सिर्फ या प्रमुखता से मानव मल-मूत्र में होते हैं।

दरअसल आहार और दवा अध्ययन की तरह निकोटिन शोध को दूसरे शोधों से तुलना करके मान्यता दी गई थी। इससे यह संकेत मिलता है कि अपशिष्ट जल महामारी विज्ञान व्यापक रूप से सटीक है और यह समुदाय की सेहत और उनकी आदतों पर निगरानी का एक तरीका है।

बेनेट कहती हैं, ‘यदि हम आंकड़ों की अत्यधिक व्याख्या की कोशिश न करें तो वास्तव में यह एक दिलचस्प अवसर है।’ आंकड़े मान्य हो जाने के बाद, वह कहती हैं, ‘सामाजिक स्तर पर क्या हो रहा है उसकी नब्ज पर उंगली रखने का यह एक उपयोगी तरीका है।’
LIVE TV