सरकार ने लगाया बिल्डर्स की मनमानी पर अंकुश

रियल एस्टेटदेहरादून । प्रदेश के रियल एस्टेट क्षेत्र में धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं के बाद प्रदेश सरकार ने रियल एस्टेट कर दिया है। इसके तहत प्रदेश में रियल एस्टेट नियामक आयोग और अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन किया जाना है। इनका गठन होने तक शासन ने उत्तराखंड आवास विकास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) को इस अधिनियम को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं, शासन ने नियामक आयोग के नियम बनाने का जिम्मा एक तीन सदस्यीय समिति को सौंपा है।

देश में इस समय रियल एस्टेट का कारोबार जोरों पर है। अमूमन देखने में यह आता है कि बिल्डर और डेवलपर ग्राहकों को प्रोजेक्ट में फ्लैट, अपार्टमेंट अथवा कमर्शियल कांपलेक्स दिखाते हैं मगर धरातल पर व्यवस्था उससे कहीं अलग होती है। बिल्डरों की इस ठगी से निपटने के लिए अभी तक कोई ठोस योजना नहीं थी। इसे देखते हुए कुछ समय पहले केंद्र ने रियल एस्टेट एक्ट बनाया।

इसे लागू करने की जिम्मेदारी सभी प्रदेशों के दी गई। इस एक्ट को लागू करने के लिए एक नियामक आयोग व एक अपीलीय न्यायाधिकरण बनाया जाना है। आयोग में अपर मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी अध्यक्ष व सेवानिवृत सचिव इसके सदस्य होंगे। इसके अलावा इसमें अन्य निर्वाचित सदस्य भी रखे जाएंगे। इसकी समय सीमा 31 मार्च रखी गई है।

केंद्र से मिले निर्देशों के क्रम में आवास विकास विभाग ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। आयोग का गठन होने तक उडा को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। अभी उडा के अध्यक्ष मीनाक्षी सुंदरम व अपर मुख्य प्रशासक अपर सचिव सुशील कुमार हैं। अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन की जिम्मेदारी न्याय विभाग को सौंपी गई है।

आयोग के नियम, आवेदन करने के तरीके इसके तहत किए जाने वाले जुर्माना आदि तय करने की जिम्मेदारी तीन सदस्यीय समिति को सौंपी गई है। इसमें अधीक्षण अभियंता नत्था सिंह रावत, मुख्य टाउन प्लानर एसके पंत और अधिशासी अभियंता ए चौधरी को शामिल किया गया है। इन्हें तय समय सीमा के भीतर नियमावली बनाकर शासन को सौंपनी है। अपर सचिव सुशील कुमार ने बताया कि आयोग का मुख्य कार्य 500 मीटर से अधिक क्षेत्रफल में होने वाले आवासीय व व्यवसायिक निर्माणों के संबंध में शिकायतों का निस्तारण करना होगा।

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