राफेल डील: केंद्र और विपक्ष के आरोपों के बीच 10 पॉइंट में समझिए पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शीर्ष न्यायालय के फैसले में उस पैराग्राफ में संशोधन की मांग की है जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के बारे में संदर्भ है।

Rafale deal

केंद्र सरकार द्वारा शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में दखिल आवेदन में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पैरा 25 में गलती हुई है। केंद्र ने कहा कि राफेल की कीमत को लेकर हमने सीलबंद लिफाफे में जो जानकारी दी थी, उसमें केवल सीएजी की रिपोर्ट को पीएसी के पास भेजने की प्रक्रिया के बारे में बताया गया था। हमने ये बिल्कुल नहीं कहा था कि सीएजी की रिपोर्ट पीएसी के साथ साझा की गई थी और रिपोर्ट को संसद में रखा गया था। हमने केवल प्रक्रिया की जानकारी दी थी। लेकिन अदालत को इसे समझने में गलती हुई है।

अदालत ने फैसले में is (है) को has been (हो चुका) समझ कर लिख दिया है। इसी के कारण सरकार के बयान का गलत मतलब निकाला जा रहा है। जिसकी वजह से विवाद उत्पन्न हो गया है। तो ऐसे में इस पैराग्राफ में बदलाव की आवश्यकता है। ऐसे में इस पैराग्राफ में बदलाव किया जाए और अगर आवश्यक हो तो इसके लिए आगे आदेश भी दिया जाए, ताकि विवाद को रोका जा सके। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को इस मामले को जल्द से जल्द देखने को कहा है।

एक विधि अधिकारी ने बताया कि अदालत को अवगत कराने के लिए याचिका दायर की गयी है कि कैग और पीएसी से जुड़े मुहरबंद दस्तावेज के मुद्दे पर अलग-अलग व्याख्या की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा था कि कैग के साथ कीमत के ब्यौरे को साझा किया गया और कैग की रिपोर्ट पर पीएसी ने गौर किया। कैग और पीएसी के मुद्दे के बारे में शीर्ष अदालत के फैसले के पैराग्राफ 25 में इसका जिक्र है। फैसले में कहा गया था कि फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीदारी में किसी तरह की अनियमितता नहीं हुई।

फैसले में कहा गया कि उसके सामने रखे गए साक्ष्य से पता चलता है कि केंद्र ने राफेल लड़ाकू विमान पर मूल्य के विवरणों का संसद में खुलासा नहीं किया, लेकिन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के सामने इसे उजागर किया गया।

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को शुक्रवार को क्लीन चिट दे दी। साथ ही शीर्ष अदालत ने सौदे में कथित अनियमितताओं के लिए सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि अरबों डॉलर कीमत के राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। ऑफसेट साझेदार के मामले पर तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि किसी भी निजी फर्म को व्यावसायिक लाभ पहुंचाने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।

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