CM को शर्मशार करने का पुलिस ने ढूंढ़ा तरीका, तिनका जोड़ घर बसाने वाले को महिला की आड़ में…

पुलिस उत्पीड़नलखनऊ। मुरादाबाद जिले के काठ थाना क्षेत्र में पुलिस उत्पीड़न से तंग एक गरीब परिवार अपना मकान बेचने को मजबूर हो गया है। परिवार की मानसिक पीड़ा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने अपने मकान पर बाकायदा लिख दिया है कि माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश सरकार में पुलिस उत्पीड़न के कारण यह मकान बिकाऊ है।

परिवार का कहना है कि मारपीट के एक मामले में जमानत कराने के बाद भी पुलिस आए दिन परेशान करने के साथ पैसों की मांग कर रही है। परिवार के लोगों ने अरोप लगाया है, “दरोगा द्वारा फोन पर भद्दी-भद्दी गलियां दी जाती हैं। महिलाओं से फोन पर अभद्र भाषा का प्रयोग कर उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है। घर में घुट-घुट कर जी रहा यह परिवार अपना घर बेचने पर मजबूर हो रहा है।”

मामला मुरादाबाद के काठ थाना क्षेत्र के मोहल्ला महमूदपुरा गांव का है, जहां रामसिंह अपनी पत्नी-बच्चों के साथ रहता है। उसका झगड़ा रजनी पत्नी जयप्रकाश से हो गया था, जिसके बाद उसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में पीड़ित ने न्यायालय से अपनी जमानत भी करवा ली है। वहीं इस मामले की विवेचना कर रहे उप निरीक्षक राजेंद्र सिंह पुंडीर पर पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि जांच के दौरान वह लगातार पैसों की मांग कर उन्हें परेशान कर रहे हैं। साथ ही पैसे न दिए जाने के बाद उन्हें कई बार थाने पर उठा ले गए और घंटो बिठाए रखा, जबकि परिवार से पांच हजार रुपये वह पहले ही वसूल चुके हैं।

पीड़ित परिवार के राजकुमार बताते हैं, “हमारी 35 वर्ष से एक चाय की दुकान है, जिस पर दूसरा पक्ष कब्जा करने की कोशिश कर रहा था। इस बात को लेकर झगड़ा हो गया। मामला थाने पहुंचा तो दोनों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया। हमने अपनी जमानत भी करवा ली, लेकिन विवेचना कर रहे दरोगा लगातार पैसों की मांग कर प्रताड़ित कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “घर की महिलाओं से अपशब्द बोलते हैं, साथ ही 40 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं। जबकि हमने पांच हजार रुपये उन्हें पहले ही दे दिए थे। घर में मेहमानदारी में आई शादीशुदा बहन, जिसका एक डेढ़ साल का बच्चा है, उसे भी इस मुकदमे में फंसा दिया गया है।”

परिवार की एक महिला सदस्य पिंकी कहती हैं, “मोबाइल पर दरोगा लगातार भद्दी-भद्दी गलियां देते हैं। पैसों की मांग की जाती है, न देने पर फर्जी मामले में फंसाने की धमकी दी जाती है।”

पिंकी ने पुलिस पर आरोप लगाया कि “झगड़े के बाद जब हम थाने गए तो हमारी तहरीर फाड़ कर फेंक दी गई और हमसे कोरे कागज पर हस्ताक्षर लेकर कागज रख लिया गया। घर में बच्चों सहित कुल सात सदस्य रहते हैं।” अपने बच्चों की तरफ इशारा करते हुए पिंकी कहती है, “आए दिन पुलिस के धमकी भरे फोन घर पर आने से हम लोगों के साथ-साथ बच्चे भी सहम गए हैं। बच्चों को 15 दिन तक स्कूल भी नहीं भेजा। हम लोगों का जीना मुहाल हो गया है।”

पीड़ित परिवार के राजकुमार ने कहा, “इस मामले में एसएसपी मनोज तिवारी से मदद मांगी गई है और उनसे न्याय की गुहार लगाई है। साथ ही जांच कर रहे दरोगा राजेंद्र सिंह पुंडीर को हटा कर किसी और से विवेचना करवाने के लिए आग्रह किया गया है।”

प्रभारी निरीक्षक थाना काठ, राजबीर सिंह ने कहा, “इस मामले की जांच की जा रही है। शनिवार को एसएसपी मनोज तिवारी ने जांच कर रहे विवेचना अधिकारी राजेंद्र सिंह पुंडीर को हटा कर उनकी जगह यशवीर सिंह को विवेचना सौंपी है।” उन्होंने कहा, “इस मामले की विवेचना चल रही है। उचित कार्रवाई की जाएगी। किसी के साथ अन्याय नहीं होगा।”

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