यमुना के पानी का रौद्ररूप देख सहमे लोग, तिलवाड़ा में फंसे लोगो की मदद करने के लिए आई एनडीआरएफ टीम

REPORT-LALIT PANDIT/NOIDA

 हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया आठ लाख क्यूसेक पानी अभी नोएडा और ग्रेटर नोएडा के तटीय गांव तक पहुंचा नही है उससे पहले ही तटीय गाँव के लोगो मे त्राहिमाम त्राहिमाम होने लगा, दरअसल हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने पर ओखला बैराज पर पहले से जमा पानी का दबाब बना तो ओखला बैराज पर जमा पानी को छोड़ दिया गया.

जिसकी वजह से ग्रेटर नोएडा के तिलवाड़ा गाँव मे सब्जी की खेती करने वाले लगभग 20 किसानों के परिवार मवेशियों सहित यमुना के दूसरी पार पर फँस गए। इसकी चपेट में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के 77 गांव आ गए हैं। ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में पडने वाला गांव तिलवाड़ा, घरबरा और मोतीपुर इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

पानी के अचानक बढ़ने से तिलवाड़ा गांव के लगभग 20 परिवार नदी के दूसरे छोर पर फंस गए हैं और लगातार मदद की गुहार कर रहे हैं,  ताकि वे अपने गांव वापस लौट सकें उनके साथ काफी संख्या में मवेशी भी फंसे हुए हैं। उनकी मदद करने के लिए प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय विधायक भी पहुँचे लेकिन पानी का स्तर अधिक होने के कारण अंततः एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया, और सभी सुरक्षित निकाला गया।

NDRF team

कभी कमर तक रहने वाला यमुना का पानी आज खौफनाक ढंग से हिलोरे मार रहा है। लोग पानी के इस विशाल और रौद्र रूप को देख डरे हुए और खौफजदा हैं। उनके जहन में सन 1978 की यादें ताजा हो गई है जब यमुना के पानी ने पूरे इलाके में तबाही मचाई थी।

ओखला बैराज से छोड़े गए पानी की चपेट में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के कई गांव आ गए हैं ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के गांव तिलवाड़ा, घरबरा और मोतीपुर इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं पानी के अचानक बढ़ने से तिलवाड़ा गांव के लगभग 20 परिवार नदी के दूसरे छोर पर फस गए है।

यहाँ आपको बता दे कि 18 अगस्त को हथिनीकुंड से पानी छोड़ते वक़्त ही जिला प्रशासन को इसकी जानकारी उपलब्ध करा दी गयी थी लेकिन इसके बावजूद गौतमबुद्धनगर जिला प्रशासन चैन की नींद में सोया हुआ था, आज सुबह जब तिलवाड़ा गाँव के लगभग 20 परिवार के फँसने के बाद जिला प्रशासन की नींद खुली व आनन फानन में प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुँचकर मोर्चा संभाला, और एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया, लेकिन एनडीआरएफ की टीम को पहुँचने में लगभग 12 घंटे का समय लगा इतने समय तक मवेशी व ग्रामीण यमुना के दूसरे छोर पर फँसे रहे।

तिलवाड़ा गाँव में मौजूद लेखपाल जो शासन की तरफ से इस मामले पर नज़र रखे, जब इस बारे में हमने बात की तो उनका कहना था कि मैं तीन दिन से लगातार इन लोगों को समझा रहा था, कि नदी के पार ना जाएं लेकिन यह नहीं माने। लोगो का कहना था कि इससे हमारी फसलों को काफी नुकसान हो जाएगा, अब इनकी मदद के लिए नावों की व्यवस्था की जा रही है।

नोएडा, ग्रेटर नोएडा के तटीय क्षेत्रों में बसे गांव का दौरा कर रहे स्थानीय विधायक भी लोगो के फंसे हुए होने की जानकारी पाकर तिलवाड़ा गांव पहुंच गए। उन्होंने कहा कि अगर नाव से निकालना संभव नहीं हुआ। तो मैं मोटरबोट की व्यवस्था करता हूं।

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वह कहते हैं कि 40 साल में सबसे ज्यादा पानी इस बार छोड़ा गया है। अगर पानी घरों तक पहुंचता है, तो लोगों के निकालने की उनके पास पूरी व्यवस्था है। इसके अलावा विधायक ने बताया कि इन तटीय गांव तक पहुंचने के लिए सड़क व्यवस्था सही नहीं है। जिसे दुरुस्त कराया जा रहा है ताकि देर रात किसी प्रकार की आपात स्थिति होने पर लोगों को घरों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके।

चालीस साल में हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया आठ लाख क्यूसेक पानी सबसे ज्यादा पानी है जिसके 21 अगस्त सुबह 6 बजे तक ग्रेटर नोएडा पहुँचने की संभावना जताई जा रही है हथिनीकुंड के पानी पहुँचने पर जलस्तर और बढ़ेगा और सूचना है कि एक से डेढ़ लाख क्यूसेक पानी और छोड़ा जा सकता है। प्रशासन अपनी तरफ से पुख्ता प्रबंध होने की बात कह रहा है। लेकिन 1978 की स्मृतिया लोगो को खौफजदा बना रही है।

तस्वीरों में दिखने वाली एनडीआरएफ की टीम की घंटो की मेहनत रंग लाई व नदी के दूसरे छोर पर फँसे हुए 5 महिलाएं, 2 बच्चे और 3 पुरुषो को निकाला गया, बचाव कार्य के बाद एनडीआरएफ की टीम के कमांडर विपिन प्रताप के द्वारा बताया गया कि कुछ लोग पहले ही वहाँ से हरियाणा की तरफ निकल गए थे वहां बचे मवेशियों को भी हरियाणा की तरफ सुरक्षित क्षेत्र में भेज दिया गया है।

 

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