मैरी कॉम ने लिखी नई इबारत, पंघल ने जगाई उम्मीदें

नई दिल्ली। मैरी कॉम को विश्व मुक्केबाजी में किसी परिचय की जरूरत नहीं है। अपने प्रदर्शन से इस ओलम्पिक पदक विजेता ने न जाने कितनों को प्रेरित किया है। लेकिन इस साल मैरी कॉम ने अपने खेल से एक नई इबारत लिखी।

महिलाओं में मैरी कॉम ने अपना जलवा विखेरा तो वहीं पुरुषों में अमित पंघल, गौरव सोलंकी और विकास कृष्णा ने अपने शानदार प्रदर्शन से वाह वाही लूटी।

मैरी कॉम ने साल की शुरुआत इंडियन ओपन में स्वर्ण पदक जीत कर की। मैरी कॉम यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। मैरी के हिस्से इन खेलों में अभी तक एक भी पदक नहीं था और इस दिग्गज मुक्केबाज ने इस साल यह कमी भी पूरी कर दी।

मैरी कॉम की असली सफलता नवंबर में भारत में ही आयोजित की गई एआईबीए विश्व महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में देखने को मिली, जहां उन्होंने उम्र को दरकिनार कर अपना छठा स्वर्ण पदक जीता। इस टूर्नामेंट में यह उनका कुल सातवां पदक था।

मैरी कॉम विश्व चैम्पियनशिप में छह स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला मुक्केबाज बनीं। उनसे पहले आयरलैंड की कैटी टेलर ने 60 किलोग्राम भारवर्ग में 2006 से 2016 के बीच पांच स्वर्ण पदक अपने नाम किए थे।

यही नहीं, मैरी विश्व चैम्पियनशिप (महिला एवं पुरुष) में सर्वाधिक पदक भी जीतने वाली खिलाड़ी बन गई हैं। मैरी कॉम ने छह स्वर्ण और एक रजत जीत कर क्यूबा के फेलिक्स सेवोन (91 किलोग्राम भारवर्ग) की बराबरी की। फेलिक्स ने 1986 से 1999 के बीच छह स्वर्ण और एक रजत पदक जीता था।

इसी विश्व चैम्पियनशिप में भारत की सोनिया चहल ने रजत पदक अपने नाम किया, तो वहीं सिमरनजीत कौर और लवलिना बोरगोहेन ने कांस्य पर कब्जा जमाया। इस विश्व चैम्पियनशिप में कोसोवो के तीन सदस्यीय दल को लेकर हुए वीजा विवाद ने हालांकि पूरे विश्व में सुर्खियां बटोरी, जिससे भारत की भविष्य में बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी पर संदेह पैदा हुआ।

मैरी की सफलता के अलावा इस वर्ष महिला मुक्केबाजी में कोई और खिलाड़ी ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ सकीं।

वहीं पुरुषों की बात की जाए तो अमित ने एशियाई खेलों में 49 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक जीत भविष्य की उम्मीदों को बनाए रखा। अमित ने इंडोनेशिया के जकार्ता में खेले गए इन खेलों के फाइनल में ओलम्पिक पदक विजेता हसनबाय दुसमातोव को मात दी। इससे पहले अमित राष्ट्रमंडल खेलों में भी रजत पदक जीत चुके थे।

अमित के अलावा एशियाई खेलों में 75 किलोग्राम भारवर्ग में विकास कृष्णा का स्वर्ण भी पक्का माना जा रहा था, लेकिन चोट के कारण विकास सेमीफाइनल में नहीं उतर सके और कांस्य से ही उन्हें संतोष करना पड़ा।

विकास ने हालांकि राष्ट्रमंडल खेलों में सोने का तमगा हासिल जरूर किया था। राष्ट्रमंडल खेलों की बात की जाए तो यहां गौरव सोलंकी ने 52 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण जीत अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

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इन खेलों में मनीश कौशिक (60 किलोग्राम भारवर्ग), सतीश कुमार (91 किलोग्राम से ज्यादा भारवर्ग) ने रजत अपने नाम किया तो वहीं हुसामुद्दीन मोहम्मद ने (56 किलोग्राम भारवर्ग) और मनोज कुमार (69 किलोग्राम भारवर्ग) ने कांस्य पदक जीता।

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इस विवाद ने भी मुक्केबाजी का पीछा नहीं छोड़ा। एशियाई खेलों से पहले कई खिलाड़ियों ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को पत्र लिखकर चयन प्रणाली पर सवाल उठाए।

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