मुंबई हमले मामले में पाकिस्तान की अदालत ने तीन आतंकियों को सुनाई ये बड़ी सजा

पाकिस्तान की एक अदालत ने आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के मामले में आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा के तीन आतंकियों को दोषी करार दिया है. 2008 में हुए मुंबई हमले को जमात-उद-दावा ने ही अंजाम दिया था.

जिन आतंकियों को सजा सुनाई गई है उनके नाम मलिक जफर इकबाल, अब्दुल सलाम और हाफिज अब्दुल रहमान मक्की हैं. कोर्ट ने मलिक जफर, अब्दुल सलाम को चार मामलों में कुल 16-16 साल की सजा सुनाई है. जबकि मक्की को डेढ़ साल तक जेल में रहना होगा. मालूम हो कि 2008 के मुंबई हमलों में 160 लोग मारे गए थे, जिनमें अमेरिकी और अन्य विदेशी नागरिक भी शामिल थे.

फैसले में FATF का असर
अदालत के फैसले को फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की सितंबर में खत्म हो रही डेडलाइन से जोड़कर देखा जा रहा है. FATF ने पाकिस्तान से आतंकिवादियों के वित्त पोषण पर कार्रवाई करने को कहा है यदि वह निर्धारित समयावधि में ऐसा नहीं करता तो उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है. तीनों आतंकवादी आतंकी सरगना हाफिज सईद के सहयोगी हैं, जिसे फरवरी में अदालत द्वारा आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने का दोषी पाया था और 11 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी. सईद ने ही आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की स्थापना की है.

लश्कर का सह-संस्थापक है इकबाल
सईद यह कहता रहा है कि उसका आतंकी संगठनों से कोई संबंध नहीं है. वह केवल स्कूलों, अस्पतालों और एम्बुलेंस जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करता है. जबकि हकीकत यह है कि जमात-उद-दावा द्वारा आतंकी विंग लश्कर को धन मुहैया कराया जाता है. 2011 में अमेरिका ने प्रतिबंधित सूची में जफर इकबाल का नाम शामिल करते हुए बताया था कि वह लश्कर का सह-संस्थापक है और आतंकी गतिविधियों के धन मुहैया कराने के लिए जिम्मेदार है. अमेरिका के मुताबिक, जब मुंबई हमलों के बाद सईद को गिरफ्तार किया गया था, तो कुछ समय के लिए अब्दुल सलाम ने आतंकी संगठन के अंतरिम लीडर की जिम्मेदारी संभाली थी. 

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