महिलाओं को ही नहीं पुरुषों को भी होना चाहिए इस धर्म का ज्ञान

12 वर्ष की अवस्था के बाद हर लड़की को मासिक धर्म होना शुरू हो जाता है। यह एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है जो हर लड़की के साथ होता है। लेकिन इसके बाद भी समाज में इस पर कोई खुलापन नहीं है। लड़कियां इसके बारे में अपने ही घर पर बताने से डरती हैं। इससे उनके अंदर कई मानसिक और शारीरिक समस्य़ाएं उत्पन्न होती हैं।

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस समय पर बच्चियों को सही मार्गदर्शन नहीं मिलता तो इससे उनकी उलझनें गंभीर रुप भी धारण कर सकती हैं। इसी सोच को ध्यान में रखते हुए एबीवीपी ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस में एक कार्यक्रम ‘यस, आई ब्लीड’ का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के जरिए महिला छात्रों को यह समझाने की कोशिश की गई कि मासिक धर्म या ‘ब्लीडिंग’ होने में कोई बुराई नहीं है और इस स्थिति में उन्हें कैसे रहना चाहिए।

एबीवीपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता मोनिका चौधरी ने अमर उजाला को बताया कि एक महिला होने के नाते वे यह बात बेहतर ढंग से समझती हैं कि ऐसे समय में महिलाओं को कितनी परेशानी होती है। ऐसे में उनका प्रयास था कि इस तरह के कार्यक्रम से न सिर्फ महिलाएं, पुरुषों को भी जागरुक किया जाए।

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क्योंकि इस तरह की समस्या से अनजान रहने पर वे अपने ही परिवार की मां, बहन या बेटी से उतनी संवेदनशीलता नहीं दिखा पाते जितनी कि आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में अक्सर पिता यह समझते हैं कि बच्ची पढ़ने में ध्यान नहीं देना चाहती या किसी वजह से बहाने बना रही है, लेकिन अगर वे उनकी मानसिक परिस्थिति से वाकिफ हों तो वे ऐसे समय पर अपनी बेटियों को ज्यादा सहयोग दे पाएंगे।

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मोनिका चौधरी ने बताया कि महिला छात्रों की समस्या को देखते हुए ही उन्होंने पिछले वर्ष दिल्ली के 51 कालेजों-स्कूलों में पैड्स मशीनें लगवाईं थीं। आगे भी संगठन के द्वारा उनकी कोशिश अधिक से अधिक जगहों पर सैनिटरी नैपकिन बांटने वाली मशीनें लगवाई जाएं। इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने भी शिरकत की और उन्होंने युवा छात्रों से महिलाओं की समस्याओं के प्रति ज्यादा जागरुक होने की अपील की।

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