
REPORT – LOKESH TRIPATHI
अमेठी – मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के तत्वाधान में महात्मा गांधी नेशनल काउंसिल आफ रूरल एजुकेशन द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर तरह तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं ।इसी तरह का पांच दिवसीय कार्यक्रम अमेठी कस्बे के रानी सुषमा देवी महिला पी०जी० कॉलेज में 27 अगस्त से 31 अगस्त तक आयोजित किया गया।इस कार्यक्रम में “नई तालीम अनुभवजन्य एवं प्रायोगिक शिक्षा” विषय पर विशेष जोर दिया गया।
इस कार्यक्रम के पांचवें दिन आज समापन के अवसर पर आए हुए अतिथियों ने महात्मा गांधी तथा मां सरस्वती के चित्र माल्यार्पण करते हुए दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का औपचारिक शुरुआत किया। इस मौके पर प्रादेशिक समन्वयक ने बताया की यह पांच दिवसीय संकाय संवर्धन कार्यक्रम है। जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्त्वाधान में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद हैदराबाद द्वारा संचालित है।
मुख्य रूप से शिक्षा विभाग में महात्मा गांधी की “नई तालीम पर आधारित अनुभवजन्य एवं उपयोगी शिक्षा” पर आधारित है ।जैसा कि वर्तमान समय में शैक्षिक परिवेश में जो हमारे छात्रों का बढ़ता हुआ पाठ्यक्रम है। उनकी सैद्धांतिक स्वरूप में एक अनुभवजन्य शिक्षा का समावेश करना है। जो कि अपने कार्यों का एक वास्तविक मंतव्य है। उसको सफल कर सके ।दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि हम लोग इसको छात्रों की 3h हेड,हार्ट एंड हैंड तीनों को मजबूत करना है। जो कि गांधीजी का स्वप्न भी था कि “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है” जो सामाजिक दायित्व शिक्षा का है ।वह एक छात्र तभी पूरा कर सकता है ।जब वह तीनों रूप से मस्तिष्क हार्ड और हैंड से मजबूत रहेगा।
हमारे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद के चेयरमैन महोदय डॉक्टर डब्लू जी प्रसन्ना कुमार जी का यहपावन कार्य पूरे देश में चल रहा है ।उन्हीं की प्रेरणा से हम लोग इस कार्यक्रम को पूरे देश के सभी महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के शिक्षक शिक्षा विभाग में संचालित कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में विभिन्न विद्यालयों के 25 प्रोफेसर आए हैं। जो कि अपने इस अनुभव जन शिक्षा को लेकर महाविद्यालय के कक्षा-कक्ष तक जाएंगे और इस को सफल करेंगे।
वहीं पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ पूनम सिंह ने बताया कि – यह हमारा पांच दिवसीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा एफबीपी कार्यक्रम चल रहा है। जिसमें हमारे स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ अनिल दुबे जी आए हुए हैं ।
यह पांच दिवसीय कार्यक्रम का आज अंतिम समापन का दिन है।आज हमारे बहुत सारे प्रोग्राम है। कल हम लोग गांव में विजिट पर गए थे ।हम लोगों ने गांव वालों को काफी जागरूक किया। मद्यपान नारी सशक्तिकरण और बहुत सारी सामाजिक बुराइयों को लेकर हमारी पूरी टीम ने उन्हें सचेत किया और जागरूक किया कि आपको आगे जीवन में क्या-क्या करना है और गांव वाले बहुत जागरूक हुए ।उनको अच्छा भी लगा हमारी जो भी बातचीत हुई ।उससे उनको काफी लाभ हुआ और वह लाभान्वित हुए खुश भी हुई है। उन्होंने यह मांग भी की कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से इस तरह की टीम बीच-बीच में आती रही चाहिए।। जिससे हम जो नहीं जानते हैं हमको क्या सुविधाएं गवर्नमेंट ऑफ इंडिया दे रही है। तो कम से कम आप जैसी टीम आएगी तो वह सुविधाएं मिलेंगी और यह पता लगेगा कि हमारे लिए क्या-क्या सुविधाएं भारत सरकार ने किया हुआ है ।
यह कार्यक्रम आउटडोर भी था ।एक दिन हम लोग आई जी पी जी कॉलेज हमारी पूरी टीम गई थी। वहां पर शिक्षा व्यवस्था को लेकर हमारी पूरी टीम में बहुत काम किया हमारी शिक्षा का जो स्तर गिर रहा है ।उसके लिए इन अध्यापकों ने बच्चों को जागरूक किया ।विशेष रूप से लड़कियों और लड़कों को हमारी मेल और फीमेल अध्यापकों ने बताया की क्या-क्या हो सकता है ।लड़कियों को कैसे रहना चाहिए कैसे उनको फाइट करना है। कैसे उनको आगे बढ़ना है कैसे उनको सामाजिक बुराइयों से लड़कर अपने को सशक्त रूप में आगे बढ़ाना है ।
यह हमारी महिला सशक्तिकरण की टीम ने बताया इससे उनको बहुत फायदा हुआ। सचमुच इस विषय पर बहुत ही भ्रमित है लड़कियों को ऐसे ही नहीं समझ में आता है ।लेकिन जब हमारी टीम उनसे मिली तो पूरी तरह से विकास करने में हमारी टीम सफल हुई ।उतनी ही देर में बच्चे जागरुक भी लगे। मैं खुद महसूस कर रही हूं मैं इस प्रोग्राम में पूरे समय रहती हूं ।और मैं इस कार्यक्रम का एक हिस्सा हूं तो मुझे लगता है कि इस तरह के कार्यक्रम जरूर होते रहने चाहिए। समय-समय पर बहुत सारे हमारे बच्चे इनोसेंट हैं उनका ब्रेन इतना अधिक विकसित नहीं है।
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कि हर चीज को जान सकें विशेष रुप से लड़कियां जो हमारे कॉलेज और स्कूल में पढ़ रही हैं या हमारी जो ग्रामीण जनता है। उनके लिए तो इस तरह का कार्यक्रम होना ही चाहिए। जो हमारे रिमोट एरिया के लोग हैं वह सभी चीजों की बारीकी को नहीं समझ पाते हैं ।इसलिए इस तरह के कार्यक्रम अगर हम करते रहेंगे तो हमको खुद भी यह संतुष्टि मिलेगी कि हम अच्छा सामाजिक कार्य कर रहे हैं ।और इस समाज को आगे बढ़ाने में हमारा भी कुछ ना कुछ दायित्व बनता है। उस पर हम खरे उतर रहे हैं ।अगर हमने एक गांव को या एक महाविद्यालय को या एक व्यक्ति को भी अच्छे से समझा कर जागरुक कर दिया तो निसंदेह हमारा कार्यक्रम अपने आप में पूरा सफल हो जाएगा।