दादी-नानी के नुस्‍खे : मस्‍से से परेशान हैं तो इन आयुर्वेदिक घरेलू उपायों से पाएं निजात

मस्‍से लाखों लोग त्वचा की समस्याओं से ग्रसित रहते हैं। इनमे से कुछ समस्याएँ गंभीर होती हैं, और कुछ गौण समझी जाती हैं, और इन गौण समस्याओं में से एक समस्या होती है, मस्‍से । यह सिर्फ गौण ही नहीं बल्कि आम समस्याओं में गिनी जाती है। मस्से त्वचा पर एक उपज की तरह होते हैं, और सुसाध्य समझे जाते हैं, यानि कि वे कैंसरयुक्त नहीं होते। इसके बावजूद इनसे ग्रसित कई लोग इन्हें निकालने के लिए आतुर रहते हैं, क्योंकि उनके अनुसार मस्से त्वचा पर अच्छे नहीं दिखते। यह बात आप शायद न जानते हों कि मस्से ‘ह्युमन पैपिल्लोमा वाइरस’ के कारण विकसित होते हैं।

त्वचा पर बेडौल और रुखी सतह का विकास होना, मस्सों के लक्षण होते हैं। मस्से अपने आप विकसित होकर अपने आप ही गायब हो जाते हैं, पर इनमे से कई मस्से अत्याधिक पीड़ादायक होते हैं। यह तेज़ी से फैलते हैं, और इनमे से कई मस्से बरसों तक बने रहते हैं जिनका इलाज कराना ज़रूरी होता है।

मस्‍से से छुटकारा पाने के उपाय

बरगद के पेड़ के पत्तों का रस मस्सों के उपचार के लिए बहुत ही असरदार होता है। इस प्रयोग से त्वचा सौम्य हो जाती है और मस्से अपने आप गिर जाते हैं।

एक चम्मच कोथमीर के रस में एक चुटकी हल्दी डालकर सेवन करने से मस्सों से राहत मिलती है।

कच्चे आलू का एक स्लाइस नियमित रूप से दस मिनट तक मस्से पर लगाकर रखने से मस्सों से छुटकारा मिल जायेगा।

केले के छिलके को अंदर की तरफ से मस्से पर रखकर उसे एक पट्टी से बांध लें। और ऐसा दिन में दो बार करें और लगातार करते रहें जब तक कि मस्से ख़तम नहीं हो जाते।

अरंडी का तेल नियमित रूप से मस्सों पर लगायें। इससे मस्से नरम पड़ जायेंगे, और धीरे धीरे गायब हो जायेंगे। अरंडी के तेल के बदले कपूर के तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं।

लहसून के एक टुकड़े को पीस लें, लेकिन बहुत महीन नहीं, और इस पीसे हुए लहसून को मस्से पर रखकर पट्टी से बांध लें। इससे भी मस्सों के उपचार में सहायता मिलती है।

एक बूँद ताजे  मौसमी का रस मस्से पर लगा दें, और इसे भी पट्टी से बांध लें। ऐसा दिन में लगभग 3 या 4 बार करें। ऐसा करने से मस्से गायब हो जायेंगे।

बंगला, मलबारी, कपूरी, या नागरबेल के पत्ते के डंठल का रस मस्से  पर लगाने से मस्से झड़ जाते हैं। अगर तब भी न झड़ें, तो पान में खाने का चूना मिलाकर घिसें।

अम्लाकी को मस्सों पर तब तक मलते रहें जब तक मस्से उस रस को सोख न लें। या अम्लाकी के रस को मस्से पर मल कर पट्टी से बांध लें।

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