
Report-अमित भार्गव/Mathura
कान्हा का जन्म को लेकर कान्हा की जन्म स्थली मथुरा के मंदिरो में विशेष तैयारिया चल रही है विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में जन्मोत्सव की तैयारिया शुरू हो चुकी है कोई कमी ना रह जाए इसका भी ध्यान रखा जा रहा है ब्रिज मंडल में कान्हा की बाल रूप में पूजा की जाती है तो लाला के लिए ख़ास तौर पर स्वर्ण रजत और रत्नों से जड़ित खेल खिलोने तैयार किये जा रहे है.
हाथी घोडा तोता मोर बासुरी खड़ामु झूले बर्तन गुलबदानी स्नानपात्र कलश शंख सहस्त्रधारा वृन्दावन के सुनारों द्वारा लगभग 40 सालों से बिहारी जी के लिए ये स्वर्ण रजत और रत्नो से निर्मित इन् सामानों को बनाया जाता है इसमें सेकड़ो किलो चांदी का प्रयोग किया गया है लगभग 6 महीने पहले से इनको बनाना शुरू किया जाता है.
कारीगरों की दिन रात की मेहनत से इनको निर्मित किया जाता है कहीं लकड़ी और मेटल तो कहीं सोने-चादी के नक्कासीदार आकर्षक झूलों ने खरीदारों को संकट में डाल दिया है।
एक झूला पसंद करें तो दूसर भाने लगता है और दूसरा पसंद है तो तीसरा भी कम आकर्षक नहीं। श्री कृष्ण जन्मास्टमी से पहले शहर के बाजार सजे हैं कान्हा के झूले और आकर्षक पोशाकों से बाजार सराबोर है ब्रजमंडल कान्हा की लीलाओं के लिए प्रख्यात है। इस महीने कान्हा को रिझाने का कोई मौका उनके भक्त नहीं छोड़ते।
यही कारण है कि गुरुपूर्णिमा से शुरू होने वाले सावन के महीने में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु धार्मिक नगरी में डेरा जमा लेते हैं। धार्मिक नगरी में उत्सवों की शुरूआत हो चुकी है हर मंदिर, आश्रम, मठ और घर-घर कान्हा को आकर्षक झूले में झोटे दिलाएंगे भक्त। तो कान्हा और उनकी अल्हादिनी शक्ति राधा कैसे पीछे रह सकते हैं।
ब्रज में तो हर ब्रजवासी खुद की दिनचर्या के अनुसार अपने आराध्य की सेवा पूजा करता है तो झूले में बैठकर मल्हार गाने वाले ब्रजवासी अपने कान्हा को कैसे भूल सकते हैं। यही कारण है बाजार सज चुके हैं आकर्षक झूलों से।बाजार में ठाकुरजी की पोशाक और श्रृंगार की दुकानें इन दिनों सज चुकी हैं।
कान्हा के भक्त भी पीछे नहीं। जमकर हो रही झूला, पोशाक और श्रृंगार की खरीद ने पोशाक व्यापारियों को व्यस्त कर दिया है। बाजार में लकड़ी, मेटल के झूलों की कीमत 200 रुपये से पाच हजार रुपये तक की रखी गई है। श्रद्धालु अपनी सामर्थ्य के अनुसार अपने आराध्य के झूले खरीद रहे हैं।
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यही कारण है कि व्यापारी भक्तों की पसंद को ध्यान में रखकर कान्हा के वस्त्रों की नई-नई वैराइटी बाजार में लाए हैं। नई और आकर्षक वैराइटी देख खरीदार भी सकते में पड़ गए हैं कि खरीदें तो क्या और कितना।
वही अगर बात की जाये झूलों की तो ठाकुर जी भी तरह तरह के झूलों में झूलेंगे बाजारों की अगर बात की जाये तो बाजार में भी लकड़ी ,ताम्बा ,पीतल एल्मोनियम ,लोहे ,व्हाइट मेटल और सोने चांदी के झूले मिलने शुरू हो गए है जिनकी कीमत १० रूपये से लेकर 10 लाख तक के झूले और पोशाकें मौजूद है जिनकी मांग भारत ही नही अपितु विदेशों में भी है