भूलकर भी खाना खाते समय न करें ये काम, इसका मौत से है सीधा संबंध…

हम अपने दैनिक जीवनशैली में परिवर्तन करने के लिए या कभी-कभार मुंह का स्वाद बदलने के लिए बाहर खाने जरूर जाते हैं।

इससे हम अपनों के साथ कुछ क्वालिटी टाइम भी बिता लेते हैं और कुछ अलग डिशेज का स्वाद भी चख लेते हैं लेकिन बात अगर घर पर बने हुए खाने की हो तो इसकी बात ही कुछ अलग है।

हम चाहें जितना भी रेस्टोरेंट में खा लें लेकिन घर के पकवानों के बिना हमारा मन नहीं भरता है।

भूलकर भी खाना खाते समय न करें ये काम

घर में तैयार किए गए पकवानों की बात ही कुछ और होती है। इसे खाने से इंसान का मन कभी भी नहीं भरता है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इसे उत्तम माना जाता है। घर में दोपहर या शाम को भोजन बनाने के बाद घर की महिलाएं उसे बहुत ही अच्छे से प्लेट में सजाकर परिवार के सदस्यों को परोसती है।

अकसर आपने देखा होगा कि भोजन की थाली में एक साथ तीन रोटियों को नहीं रखा जाता है। क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों किया जाता है? इसके पीछे की असली वजह क्या है? आज हम इस बारे में आपको पूरी जानकारी देते हैं।

सबसे पहले बता दें कि यह परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है। दरअसल, ऐसा माना जाता है कि थाली में तीन रोटियां परोसना अशुभ होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हिंदू धर्म में 3 अंक को शुभ नहीं माना जाता है।

शायद यही वजह है कि किसी भी शुभ कार्य में 3 लोगों को साथ नहीं बैठाया जाता है। 3 नंबर वाली तारीख के दिन किसी भी शुभ कार्य को नहीं किया जाता है।

पूजन या हवन इत्यादि में भी 3 वस्तुओं को शामिल नहीं किया जाता है। ठीक इसी तरह भोजन परोसते समय भी इसी बात का खास ध्यान रखा जाता है कि थाली में एक साथ तीन रोटियां न चली जाएं।

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इसके अलावा इससे संबंधित एक और मान्यता है और वह ये कि किसी व्यक्ति को एक साथ 3 रोटियां देना किसी मृत व्यक्ति को भोजन देने के सामान होता है।

दरअसल, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो तीसरे दिन उसका भोजन 3 रोटियों के साथ ही निकाला जाता है। इस वजह से किसी भी जीवित व्यक्ति को एक साथ तीन रोटी देना शुभ नहीं माना जाता है।

यदि किसी परिस्थिति में तीन रोटी देनी पड़े तो आप रोटी को तोड़ कर दे सकते हैं। अपने घर में हमने अपने बड़े-बुजुर्गो को ऐसा करते हुए देखा है जिसका पालन आज भी होता आ रहा है।

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