बॉम्बे हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को किया बरी, कहा- एक ही समय में पीड़िता का मुंह बंद करना और कपड़े उतारना असंभव

पॉक्सो के तहत यौन शोषण के मामले में अपने विवादास्पद आदेश के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की न्यायमूर्ति पुष्पा गनेदीवाल ने हाल ही में दुष्कर्म के एक आरोपी को बरी कर दिया है। अपने आदेश में न्यायमूर्ति गनेदीवाल ने कहा कि एक अकेले आदमी के लिए पीड़िता का मुंह बंद करना और बिना किसी हाथापाई के उसी समय उसके और अपने कपड़े उतारना असंभव लगता है।

आपको बता दें कि गनेदीवाल पहली बार तब चर्चा में आई थीं जब उन्होंने 12 वर्षीय लड़की के स्तन को छूने के आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया था। बरी करने के पीछे वजह थी की उनके बीच त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं बना था। जिसके बाद आदेश दिया गया था कि पांच साल की बच्ची का हाथ पकड़ना और उसके सामने पैंट की जिप खोलना पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन शोषण के दायरे में नहीं आता है।

ताजा मामले में न्यायमूर्ति गनेदीवाल ने कहा कि किसी एक व्यक्ति के लिए पीड़िता का मुंह बंद करके, उसके और अपने कपड़े उतारना और बिना किसी हाथापाई के जबरन दुष्कर्म करना बेहद असंभव लगता है। चिकित्सा साक्ष्य भी अभियोजन पक्ष की बात का समर्थन नहीं करते हैं। दरअसल गनेदीवाल 26 साल के सूरज कासकर की सजा के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थीं। जुलाई 2013 में पीड़िता की मां ने अपने पड़ोसी कासकर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने कहा था कि आरोपी ने उनकी 15 साल की बेटी के साथ दुष्कर्म किया।

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