बुंदेलखंड में न राशन मिल रहा और न काम

बुंदेलखंडटीकमगढ़ (मप्र)। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही देश के सूखा प्रभावित 12 राज्यों में सभी को रियायती दर पर अनाज देने के साथ रोजगार मुहैया करने के निर्देश दे दिए हों, मगर जमीनी स्तर पर अब तक इसका अमल शुरू नहीं हुआ है। बुंदेलखंड के मध्य प्रदेश वाले हिस्से में इस आदेश का कोई असर नहीं दिख रहा है।

बुंदेलखंड में सूखा

देश के सूखाग्रस्त महाराष्ट्र के मराठवाड़ा की पांच दिनों की यात्रा के बाद चार सामाजिक संगठनों स्वराज अभियान, एकता परिषद, नेशनल अलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट (एनएपीएम) और जल बिरादरी की जल-हल यात्रा शुक्रवार को बुंदेलखंड पहुंची।

सूखाग्रस्त क्षेत्रों के हालात जानने और सु्प्रीम कोर्ट द्वारा सूखाग्रस्त इलाकों के लिए जारी किए गए दिशा-निर्देशों से लोगों को अवगत कराने के लिए जल-हल यात्रा का दूसरा चरण शुक्रवार को बुंदेलखंड के टीकमगढ़ जिले के आलमपुरा गांव से शुरू हो गया।

जल-हल यात्रा के पहले दिन आलमपुरा, बेला और छतरपुर जिले के गरौली गांव पहुंची। यहां पहुंचे चार सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के सामने लोगों ने बेहिचक स्वीकारा कि उन्हें पांच किलो प्रति व्यक्ति के हिसाब से अनाज नहीं मिल रहा है। इतना ही नहीं, विद्यालयों में मध्याह्न भोजन भी नहीं दिया जा रहा है।

स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव ने ग्रामीणों को बताया कि देश की सबसे बड़ी अदालत सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र व राज्य सरकारों को सूखा प्रभावित क्षेत्रों के प्रति व्यक्ति को पांच किलो प्रतिमाह अनाज देने, गर्मी की छुट्टी के बावजूद विद्यालयों में मध्याह्न भोजन देने, सप्ताह में कम से कम तीन दिन अंडा या दूध देने तथा मनरेगा के जरिए रोजगार उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

यादव ने बच्चों से पूछा कि क्या उन्हें स्कूल की छुट्टी के दौरान मध्याह्न भोजन मिल रहा है, तो हर स्थान से एक ही जवाब आया, ‘नहीं।’ राशन के बारे में पूछे जाने पर भी यही उत्तर मिला। इतना ही नहीं, लोग रोजगार के लिए भी भटक रहे हैं। लोगों ने बताया कि न तो पानी का इंतजाम है और न ही जानवरों के लिए भूसे की व्यवस्था की गई है।

जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने ग्रामीणों से कहा कि उन्हें अपना हक पाने के लिए तैयार रहना होगा। जरूरत पड़े, तो उन्हें लोकतंत्र में मिली अपनी ताकत वोट से उन लोगों को सबक सिखाना चाहिए जो उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए सामने नहीं आते हैं।

जल जन जोड़ो के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने विपत्ति काल में लोगों से धीरज रखने की अपील की और कहा कि बारिश के मौसम में पानी को रोकने के वे सारे प्रयास किए जाएं जो जरूरी हैं। सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं रहा जा सकता।

पूर्व विधायक और किसान नेता डॉ. सुनीलम ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार कहती तो यह है कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में हर संभव मदद दी जा रही है, मगर हकीकत तो यहां आकर पता चल रहा है। इस मौके पर पवन राजावत व भगवान सिंह ने भी बुंदेलखंड की समस्याओं को गिनाया। इस मौके पर किसानों और महिलाओं ने यात्रा में शामिल सामाजिक कार्यकर्ताओं को बताया कि बिजली के कनेक्शन काट दिए गए हैं और बैंकों से वसूली के नोटिस आ रहे हैं। वसूली करने वालों द्वारा उन्हें धमकाया भी जा रहा है।

यादव ने ग्रामीणों को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में प्रभावितों की मदद के लिए सरकारों को जो निर्देश दिए हैं, उन्हें जन-जन तक पहुंचाने के लिए जल-हल यात्रा शुरू की गई है। इतना ही नहीं, वे वास्तविकता का ब्यौरा एक अगस्त को होने वाली पेशी में करेंगे। यह यात्रा मध्य प्रदेश के अलावा, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के जिलों में पहुंचेगी। यात्रा का समापन एक मई को महोबा में होगा।

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