बाबरी विध्वंस मामले में बड़ा फैसला : जज ने कहा घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, सभी को बरी किया गया

बाबरी विध्वंस मामले में आज 28 सालों बाद बड़ा फैसला सामने आना शुरु चुका है। जज एस के यादव फैसला पढ़ना शुरु कर चुके हैं। कोर्ट में जज ने कहा कि घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। यह घटना अचानक ही हुई। जज की ओर से बताया गया कि 6 दिसंबर 1992 की घटना अचानक ही हुई।

आपको बता दें कि इस केस में नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 32 आरोपियों पर फैसला आना था। यह फैसला सीबीआई अदालत सुनाएगी। इस दौरान कोर्ट में सभी आरोपियों को मौजूद रहने को कहा गया था। हालांकि 5 आरोपी इस दौरान कोर्ट में मौजूद नहीं थे।

ज्ञात हो कि लालकृष्ण आडवाणी की उम्र 92 साल है। वह इस उम्र में चलने फिरने में असमर्थ है। इसी के चलते उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है। जिसके चलते उनके वकील कोर्ट में प्रार्थनापत्र दे सकते हैं। जबकि उमा भारती बीते सोमवार को कोरोना संक्रमित पाई गयी थीं। फिर तबियत खराब होने के चलते उन्हें ऋषिकेश के एम्स में भर्ती कराया गया है। जिसके चलते वह कोर्ट नहीं आ सकती हैं। वहीं जोशी की भी उम्र ज्यादा होने के चलते वह फिलहाल कोर्ट नहीं आ सकेंगे। जबकि आरोपी रामचंद्र खत्री एक अन्य केस को लेकर जेल में बंद है। लिहाजा वह कोर्ट में उपस्थित नहीं रह सकेंगे।

आपको बता दें कि ढ़ांचा ढहने के बाद तत्कालीन थाना प्रभारी राम जन्मभूमि प्रियंबदा नाथ शुक्ला ने 6 दिसंबर 1992 को ही सांय 5.15 बजे अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। हालांकि इसके कुछ देर बाद ही 5.25 पर राम जन्मभूमि चौकी प्रभारी गंगा प्रसाद तिवारी की ओर से अशोक सिंघल, लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियारस विष्णु हरि डालमिया, गिरिराज किशोर और साध्वी रितंभरा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई गयी। इसी के साथ मीडिया कर्मियों ने भी कारसेवकों के खिलाफ कैमरा, रील छीनने और अभद्रता करने को लेकर 47 रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।

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