बजट में शामिल मोदी सरकार के सबसे बड़े विजन के सामने हैं ये कड़ी चुनौतियां

केंद्र सरकार ने 2030 तक सड़कों पर तीस फीसदी इलेक्ट्रिक कारें चलाने का सपना देखा है. इसे साकार करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए ई-वाहन पर टैक्स में बड़ी रियायत का ऐलान किया, लेकिन इस सपने को जमीन पर उतारने की राह इतनी आसान भी नहीं है. हकीकत यह है कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री कुल वाहनों की बिक्री के एक प्रतिशत से भी कम है, यानी एक हजार वाहनों की बिक्री पर दस ई-वाहन.

कारों की बिक्री में ई-कारों की हिस्सेदारी महज 0.1 प्रतिशत है यानी एक हजार कार में सिर्फ एक इलेक्ट्रिक कार. वैसे देश में 2020 तक इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री दस फीसदी से ज्यादा बढ़ने का अनुमान है. लेकिन फिलहाल भारत में ई-वाहनों की लोकप्रियता बहुत कम है.

ई-व्हीकल इंडस्ट्री से जुड़े सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल के आंकड़े बताते हैं कि मार्च 2018 में देश की सड़कों पर 56 हजार इलेक्ट्रिक वाहन थे जिनमें से ई-कारों की संख्या सिर्फ 1200 थी जबकि बाकी 54,800 ई-बाइक थीं. भारत में ई-वाहनों के इन दयनीय आंकड़ों के पीछे दो वजह हैं. पहली ये-कि अभी लोगों में ई-वाहनों के प्रति जागरुकता नहीं है और दूसरी वजह है देश में ई-वाहनों के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी.

भारी निवेश की डिमांड

भारी उद्योग मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक ई-व्हीकल्स और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए 14 हजार करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत है. Ernst & Young की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक हर 10 से 12 इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर एक चार्जिंग प्वाइंट होना चाहिए जबकि देश में इस वक्त सिर्फ 353 चार्जिंग स्टेशन हैं.

जाहिर है कि अभी भारत में ई-व्हीकल्स के लिए माहौल नहीं है और माहौल तैयार करने के लिए सरकार के सामने सब्सिडी और टैक्स छूट के अलावा ई-व्हीकल्स के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की भी चुनौती होगी.

अगले तीन वर्षों में भारत की मेट्रो सिटीज़ में 2700 चार्जिंग स्टेशन खोलने की योजना है. इसके अलावा ओला और उबर जैसी टैक्सी सर्विस में चालीस फीसदी ई-कारों के कोटे को अनिवार्य करने की भी योजना है. सरकार अगर 2030 तक भारत की सड़कों पर 40 फीसदी ई-कारें चलती हुई देखना चाहती है तो उसे अगले 12 सालों में इस दिशा में ऐसे और बड़े और क्रांतिकारी कदम उठाने होंगे.

सरकार का मेगा प्लान

भारत सरकार ने टारगेट रखा है कि वर्ष 2030 तक भारत में बिकने वाली कारों और बाइकों में चालीस फीसदी हिस्सा ई-वाहनों का हो. केंद्र सरकार ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए अगले तीन वर्षों के लिए दस हजार करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है. इसमें एक हजार करोड़ रुपये देशभर में इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन खोलने पर खर्च किये जाने हैं.

एक अन्य योजना के तहत 2022 तक भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर 8,596 करोड़ रुपये की सब्सिडी भी देगी. सरकार की योजना है कि 2022 तक देश की सड़कों पर 7000 से ज़्यादा इलेक्ट्रिक बसें दौड़नी शुरू हो जाएं. इसके अलावा 2022 तक 35,000 ई-कार, पांच लाख इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर्स की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है.

कंपनियों की तैयारी

भारत सरकार ने ई-वाहनों को अपनाने की इच्छा शक्ति दिखाई तो है, लेकिन अभी भारत में इलेक्ट्रिक कारों के ज्यादा विकल्प है नहीं. मौजूदा समय में अगर अभी तुरंत कोई इलेक्ट्रिक कार खरीदनी हो तो इक्का-दुक्का विकल्प ही हैं. लेकिन भारत में प्रमुख कार और बाइक निर्माता कंपनियों ने इलेक्ट्रिक वाहनों को लॉन्च करने पर काम शुरु कर दिया है.

इसके तहत मारुति अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार 2020 में भारत में लॉन्च करेगी. महिंद्रा एंड महिंद्रा ने भी साल 2020 से हर साल 60 हजार ई-कार बनाने का लक्ष्य तय किया है. हुंडई मोटर्स की योजना की योजना इसी साल भारत में इलेक्ट्रॉनिक कार लॉन्च करने की है.

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