बजट पेश होने से पहले संसद सत्र में हुए दस बड़े बदलाव, छोटा हुआ सत्र

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज अपना तीसरा बजट पेश करने रही हैं। यह बजट पूरी तरह पेपरलेस रहेगा। इतिहास में पहली बार कागज रहित बजट पेश हुआ है। यह बजट किसान आंदोलन के चलते पेश हो रहा है, इसलिए संसद के बजट सत्र में किसानों का मुद्दा छाए रहने की उम्मीद है।

संसद के बजट सत्र का पहला चरण 15 फरवरी से पहले ही 13 फरवरी को संपन्न हो जाएगा। बजट सत्र का समय कम कर दिया गया है। राज्यसभा ने भी अपनी बैठक में बदलाव कर 13 फरवरी को बजट सत्र के पहले चरण का समापन करने का फैसला किया है. विभिन्न दलों के नेताओं ने एक सर्वदलीय बैठक के दौरान कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन का मुद्दा उठाया था और कहा कि इस मुद्दे पर वे चर्चा चाहते हैं।

बजट सत्र से जुड़ी अहम बातें

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को ‘अलग हटके’ बजट पेश कर रहीं हैं.  इस बजट में महामारी से पीड़ित आम आदमी को मदद मिलने की उम्मीद की जा रही है। साथ ही स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे और रक्षा पर अधिक खर्च के माध्यम से आर्थिक सुधार पर ध्यान देने की उम्मीद भी है। यह एक अंतरिम बजट समेत मोदी सरकार का नौवां बजट होगा. इसमें व्यापक रूप से रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास पर खर्च को बढ़ाने, विकास योजनाओं के लिये उदार आवंटन, औसत करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा डालने और विदेशी कर को आकर्षित करने के लिये नियमों को आसान किये जाने की उम्मीद की जा रही है।

• सीतारमण ने 2019 में अपने पहले बजट में चमड़े के पारंपरिक ब्रीफकेस को बदल दिया था और लाल कपड़े में लिपटे ‘बही-खाते’ के रूप में बजट दस्तावेजों को पेश किया था. उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष का बजट इस तरीके का होगा, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया।

• यह बजट कुछ इस तरीके का हो, जो अर्थव्यवस्था को भविष्य की राह दिखाए और दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाए. सोच-समझकर तैयार किया गया बजट भरोसा बहाल करने में लंबी दौड़ का घोड़ा साबित होता है. इसे सितंबर 2019 में पेश मिनी बजट या 2020 में किस्तों में की गयी सुधार संबंधी घोषणाओं से स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।

• बड़े स्तर पर अर्थशास्त्रियों की सलाह है कि वित्त वर्ष 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था में सात से आठ प्रतिशत की गिरावट आने वाली है. यदि ऐसा होता है तो यह विकासशील देशों के बीच सबसे खराब प्रदर्शन में से एक होगा. सरकार को अर्थव्यवस्था को गर्त से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है. अब जबकि महामारी कम संक्रामक होने के लक्षण दिखा रही है और टीकाकरण कार्यक्रम में एक क्रमिक प्रगति हो रही है, यह एक बेहतर भविष्य की आशा को बढ़ावा दे रही है. ऐसे में एक स्थायी आर्थिक पुनरुद्धार के लिये नीतिगत उत्प्रेरक की आवश्यकता होगी. इस वजह से यह बजट विशेष प्रासंगिक हो जाता है।

• सरकार किसानों को अपने पाले में करने और उनमें सरकार के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए किसानों पर फोकस कर सकती है. उम्मीद जताई जा रही है कि वित्त मंत्री पीएम किसान सम्मान निधि की राशि सालाना 6000 रुपये से ज्यादा बढ़ा सकती हैं.

• हर बार की तरह आम आदमी इस बजट में भी टैक्स में राहत मिलने की उम्मीद लगाए हुए है.  बीते साल निर्मला सीतारमण ने टैक्सपेयर्स को एक नया विकल्प दिया था. नए टैक्स सिस्टम में सात स्लैब बनाए गए थे और निवेश पर मिलने वाली 70 से ज्यादा छूट को उसमें शामिल नहीं किया था. अब ऐसा माना जा रहा है कि बजट में नए टैक्स विकल्प को केंद्र सरकार और अधिक आकर्षक बनाने पर जोर दे सकती है. पुराने टैक्स स्लैब के मुताबिक 2.5 लाख रुपये तक कोई आयकर नहीं देना होता है.

• राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने एक सर्वदलीय बैठक में सभी दलों के नेताओं से यह अनुरोध भी किया कि वे बजट सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही का सुचारू व प्रभावी संचालन सुनिश्चित करें. सूत्रों ने कहा कि बैठक में शामिल विभिन्न दलों के नेताओं ने आश्वासन दिया कि सदन की सभी बहस व चर्चाओं में पूर्ण रूप से भाग लिया जाएगा. बैठक के बाद सूत्रों ने कहा कि यह भी तय किया गया कि राज्यसभा बजट सत्र के पहले हिस्से के आखिरी दिन के तौर पर 15 फरवरी के बजाए 13 फरवरी को बैठेगी.

• इसके बाद विभाग संबंधी संसदीय समितियों के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों की अनुदान संबंधी मांगों की जांच के लिये सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी जाएगी और फिर सदन बजट सत्र के दूसरे चरण के लिये आठ मार्च को मिलेगा. राज्यसभा ने धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के लिये 10 घंटे का समय निर्धारित किया है जिस पर प्रधानमंत्री जवाब देंगे.संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार किसानों के प्रदर्शन समेत सभी मुद्दों पर चर्चा के लिये तैयार है.

• बजट में विनिवेश की प्रक्रिया जारी रह सकती है. मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार ने केंद्रीय उपक्रमों में विनिवेश और शेयरों की पुनर्खरीद के जरिये चालू वित्त वर्ष में अब तक 19,499 करोड़ रुपये जुटाये हैं. हालांकि सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश और पुनर्खरीद से 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. कोरोना वायरस महामारी के चलते विनिवेश की कई बड़ी योजनाएं तथा शेयर बाजारों में सूचीबद्धता टल गयी थी. इससे लगता है कि सरकार चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के लक्ष्य से काफी अंतर से चूकने वाली है.

• केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में निजीकरण, राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों में अल्पांश हिस्सेदारी की बिक्री और सीपीएसई द्वारा शेयर पुनर्खरीद से 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था. इनमें से सीपीएसई में हिस्सेदारी बिक्री से 1.20 लाख करोड़ रुपये आने थे, वहीं वित्तीय संस्थानों में शेयर बिक्री से 90,000 करोड़ रुपये की आय होनी थी। 

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