
हम हमेशा चाहते हैं की हमारा शरीर साफ़ और स्वस्थ रहे हम कभी भी नहीं चाहेंगे की हमे किसी तरह का कोई इन्फेक्शन या बीमारी लगे। वैसे तो हम अपने शरीरका हमेशा ध्यान रखते हैं लेकिन उसके बावजूद हमे कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। हमे इन्फेक्शन कभी भी हो सकता है । ये इन्फेक्शन फोड़े-फुंसियों के रूप में या दाद के रूप में हो सकता है। इनका बचाव बहुत आवश्यक है।
दाद का इन्फेक्शन बहुत ख़राब फंगल इन्फेक्शन होता है ।अगर आपको ये इन्फेक्शन है तो आप अपने शरीर के किसी भी हिस्से पर लाल गोल निशान देख सकते हैं। ये बहुत तेज़ी से फेलता है जिस जगह पर हुआ है उसके आस पास की जगह पर भी फैलने लगता है। इसका इन्फेक्शन ज्यादा बढ़ने पर आप शरीर पर उभार और फुंसियाँ भी देख सकते हैं।
फोड़े-फुंसियों या दाद-खाज खुजली जैसी चमड़ी की बीमारियों को पीछे प्रमुख रूप से रक्त कादूषित होना होता है। जब शरीर का खून दूषित यानी गंदा हो जाता है तो कुछ समय के बाद उसका प्रभाव बाहर त्वचा पर भी नजर आने लगता है। प्रदूषण चाहे बाहर का हो या अंदर का वो हर हाल में अपना दुष्प्रभाव दिखाता ही है। बाहरी और भतरी प्रदूषण ने मिलकर हमारे शरीर की प्राकृतिक खूबसूरती को छीनकर कई सारे त्वचा रोगों को जन्म दिया है फोड़े- फुंसियां भी उन्हीं में से एक हैं।
यहां हम कुछ ऐसे घरेलू उपाय दे रहे हैं जो बर्सों से आजमाए और परखे हुए हैं। ये नुस्खे कारगर तो हैं ही साथ ही इनकी सबसे बड़ी खाशियत यह है कि इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है, ऊपर से ये हैं भी बहुत ही सस्ते हैं।
फोड़े-फुंसियों में इन बातों का रखें ध्यान
गर्मी हो या अन्य मौसम, साफ पानी से नियमित नहाना सबसे पहली जरूरत है। इससे शरीर पर लगी धूल-मिटटी और पसीने की गंदगी साफ होती है। यही नहीं पानी शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की भी आदत डालें। इससे शरीर को अंदर से साफ रखने में मदद मिलेगी।
कोशिश करें की भोजन में ताजे फल और सलाद ज्यादा खाएं। साथ ही तले-गले और गरिष्ठ भोजन से बचें। व्यायाम जरूर अपनाएं और सुबह ताजी हवा के सम्पर्क में आएं। जिम या अन्य एक्सरसाइज के दौरान आने वाले पसीने को साफ कपड़े से थपथपाकर पोंछें। इसके बाद अच्छे से नहाएं।
कॉटन के या पसीने को सोखने वाले मटेरियल के कपडे पहनें। अगर हो सके तो दिन में दो बार नहाएं। नहाने के पानी में एंटीसेप्टिक या अन्य संक्रमणों से बचाने वाले तेल आदि डालने से पसीने में दुर्गन्ध और संक्रमण से बचा जा सकता है, ऐसे उपाय अपनाएं।
यदि आपको किसी प्रकार के संक्रमण की टेंडेंसी है या फैमिली हिस्ट्री है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। यदि 3-4 दिन में फोड़े-फुंसी ठीक न हों तो भी डॉक्टर से सलाह जरूर लें। आम से होने वाले संक्रमण के मामले में भी आमों को खाने से पहले अच्छी तरह धोने की और सावधानी से उसका ऊपरी सिरा हटाने की आदत डालें। हाथों को भी साफ रखने और अच्छे से धोने का ध्यान रखें। साथ ही अंडरगार्मेंट्स और अन्य कपड़ों को भी साफ रखें। ये भी संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
फोड़े फुंसी की चिकित्सा
थोड़ी सी साफ रूई पानी में भिगो दें, फिर हथेलियों से दबाकर पानी निकाल दें। तवे पर थोड़ा सा सरसों का तेल डालें और उसमें इस रूई को पकायें। फिर उतारकर सहन कर सकने योग्य गर्म रह जाय तब इसे फोड़े पर रखकर पट्टी बाँध दें। ऐसी पट्टी सुबह-शाम बाँधने से एक दो दिन में फोड़ा पककर फूट जायेगा। उसके बाद सरसों के तेल की जगह शुद्ध घी का उपयोग उपरोक्त विधि के अनुसार करने से घाव भर के ठीक हो जाता है।
फोड़े-फुंसियों पर वट वृक्ष या बरगद के पत्तों को गरम कर बाँधने से शीघ्र ही पक कर फूट जाते
आयुर्वेद के अनुसार नीम की सूखी छाल को पानी के साथ घिसकर फोड़े-फुंसियों पर लेप लगाने से बहुत लाभ मिलता है और धीरे-धीरे इनकी समाप्ति हो जाती है।
जब तक समस्या से पूरी तरह से छुटकारा नहीं मिल जाता मीठा यानी शक्कर से बनी,बासी, तली-गली और अधिक मिर्च-मसालेदार चीजों को पूरी तरह से छोड़ दें।
फोड़े-फुंसी, दराद या खुजली वाले स्थान पर मूली के बीज पानी में पीस कर गरम करके लगाने से तत्काल लाभ होता होगा।
नीम की पत्तियों को पीस कर फोड़े-फुंसी, दराद या खुजली वाले स्थान पर लगाने और पानी के साथ पीने से बहुत सीघ्र लाभ होता है।
नींबू के छोटे पत्ते खाने से लाभ होता है। नींबू में मौजूद विटामिन सी खून साफ करता है. फोड़े-फुंसियों पर नींबू की छाल पीसकर लगाएं. सप्ताह में एक बार फोड़े-फुंसिंयों पर मुल्तानी मिट्टी लगाएं. एक-दो घंटे बाद नहाएं ।
पालक, मूली के पत्ते, प्याज, टमाटर, गाजर, अमरुद, पपीता आदि को अपने भोजन में नियमित रूप से शामिल करें।
सुबह खाली पेट चार-पांच तुलसी की पत्तियां चूंसने से भी त्वचा रोगों में स्थाई लाभ होता है।
पानी अधिक से अधिक पीएं।
सुबह उठकर 2 से 3 किलो मीटर घूमने के लिये अवश्य जाएं ताकि आपके शरीर और रक्त को शुद्ध ताजा हवा मिल सके और शरीर का रक्त प्रवाह भी सुधर सके।