फेफड़ों की देखभाल के लिए करे ये आयुर्वेदिक घरेलु उपचार, नहीं होगी सांस लेने में दिक्कत
वर्तमान समय में कोरोना वायरस ने दुनिया की नाक में दम कर रखा है. वहीं, फ्लू और वायु प्रदूषण जैसी भयंकर समस्या लोगों का दिन-ब-दिन दम घोंट रही हैं. वहीं सांस की समस्या वालें लोगों के लिए सर्दी का मौसम किसी जानलेवा बीमारी से कम नहीं है.
डॉक्टर और आयुर्वेदिक प्रेक्टिसनर दीपा आप्टे के मुताबिक सर्दी के मौसम में न केवल फ्लू बल्कि अस्थमा, एलर्जी और ब्रोंकाइटिस फेफड़ों के लिए खतरनाक बीमारी हैं. इन बीमारियों से स्ट्रॉक खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में आयुर्वेदिक डॉक्टर दीपा आप्टे ने सर्दियों में फेफड़ों की देखभाल करने के लिए बेहतरीन उपाय सुझाएं हैं.
खाली पेट गर्म तिल के तेल का कुल्ला करें
डॉ. दीपा ने सुझाव दिया है कि सुबह-सुबह खाली पेट गर्म तिल के तेल का कुल्ला करें. इसके लिए आप एक से दो चम्मच गर्म तिल का तेल लें और दो से तीन मिनट तक कुल्ला करें. इसके बाद टूथब्रश करें. इससे वायु प्रदूषण के कारण होने वाले मुंह के सूखापन को कम करने में मदद मिल सकती है.
प्रभावकारी आयुर्वेदिक उपचार त्रिफला काढ़ा
फेफड़ों को सुरक्षित रखने के लिए एक और प्रभावकारी आयुर्वेदिक उपचार त्रिफला काढ़ा माउथवॉश है. इसमें आप सुबह खाली पेट त्रिफला से बने काढ़े से माउथवॉश करें. त्रिफला में एंटी-इन्फ्लेमेंट्री और एंटीऑक्साइड गुण होते हैं जो हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को बूस्ट करता है. 1,000 मिलीलीटर पानी में 100 ग्राम त्रिफला को तब तक उबालें जब तक यह आधा न हो जाए. इस मिश्रण की दो से तीन बड़ी चम्मच से दो-तीन मिनट तक कु्ल्ला करने के बाद टूथब्रश करें.
नस्य तेल या साद बिंदु तेल का इस्तेमाल करें
नस्य और साद बिंदु तेल को अधिकतर इस्तेमाल बंद नाक को खोलने के लिए किया जाता है. डॉ. दीपा के मुताबिक, घर से बाहर निकलने से पहले इन तेल का इस्तेमाल करें. डॉ. के मुताबिक, इन तेल की दो-दो बूंद नाक में डालने से सांस लेने में आसानी होती है.
नियमित रूप सांस से जुड़े व्यायाम करें
फेफड़ों को स्वस्थ बनाने के लिए जरूरी है कि आप नियमित रूप से सांस से जुड़े व्यायाम करें. इसके लिए कपालभाति और भस्त्रिका श्वास योग बेहद उपयोगी हैं.
तुलसी की पत्तियां
डॉ. दीपा के मुताबिक, तुलसी की पत्तियों से हमारी इम्यूनिटी बूस्ट होने के साथ-साथ फेफड़ों की आयु बढ़ती है. इसलिए जरूरी है कि सुबह नाश्ते में 2-3 तुलसी की पत्तियों का सेवन करें क्योंकि इसमें इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, एंटीट्यूसिव और एक्सपेक्टोरेंट गुण होते हैं जो सांस संबंधी बीमारी से दूर भगाते हैं.