प्रेरक-प्रसंग: आज्ञा का पालन…

एक समय की बात है। रेगिस्तान के किनारे स्थित एक गाँव में एक व्यापारी रहता था।  वह ऊँटों का व्यापार करता था। वह ऊँटों के बच्चों को खरीदकर उन्हें शक्तिशाली बनाकर बेचा करता था। इससे वह ढेर सारा लाभ कमाता था।

रेगिस्तान

 

 

व्यापारी ऊँटों को पास के जंगल में घास चरने के लिए भेज देता था। जिससे उनके चारे का खर्च बचता था। उनमें से एक ऊँट का बच्चा बहुत शैतान था। उसकी हरकतें पूरे समूह की चिंता का विषय था। वह प्राय: समूह से दूर चलता था और इस कारण पीछे रह जाता था। बड़े ऊँट हरदम उसे समझाते थे पर वह नहीं सुनता था इसलिए उन सब ने उसकी परवाह करना छोड़ दिया था।

व्यापारी को उस छोटे ऊँट से बहुत प्रेम था इसलिए उसने उसके गले में घंटी बाँध रखी थी। जब भी वह सिर हिलाता तो उसकी घंटी बजती थी जिससे उसकी चाल एवं स्थिति का पता चल जाता था।

एक बार उस स्थान से एक शेर गुजरा जहाँ ऊँट चर रहे थे। उसे ऊँट की घंटी के द्वारा उनके होने का पता चल गया था। उसने फसल में से झांककर देखा तो उसे ज्ञात हुआ कि ऊँट का बड़ा समूह है लेकिन वह ऊँटों पर हमला नहीं कर सकता था क्योंकि समूह में ऊँट उससे बलशाली थे। इस कारण वह मौके की तलाश में वहाँ छुपकर खड़ा हो गया।

समूह के एक बड़े ऊँट को खतरे का आभास हो गया। उसने समूह को गाँव वापस चलने की चेवातानी दी और उन्हें पास पास चलने को कहा। ऊँटों ने एक मंडली बनाकर जंगल से बाहर निकलना आरम्भ कर दिया।  शेर ने मौके की तलाश में उनका पीछा करना शुरू कर दिया।

बड़े ऊँट ने विशेषकर छोटे ऊँट को सावधान किया था। कही वह कोई परेशानी न खड़ी कर दे। पर छोटे ऊँट ने ध्यान नहीं दिया और वह लापरवाही से चलता रहा।

छोटा ऊँट अपनी मस्ती में अन्य ऊँटों से पीछे रह गया। जब शेर ने उसको देखा तो वह उस पर झपट पड़ा। छोटा ऊँट अपनी जान बचाने के लिए इधर – उधर भागा, पर वह अपने आप को उस शेर से बचा नहीं पाया। उसका अंत बुरा हुआ क्योंकि उसने अपने बड़ों की आज्ञा का पालन नहीं किया था।

शिक्षा – हमें अपनी भलाई के लिए अपने माता – पिता एवं बड़ों की आज्ञा का पालन करना चाहिए।

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