प्रशासन की आंखों में धुआँ झोकते किसान, पर्यावरण बेहाल

पराली जलाना कानूनी अपराध है और इसका उल्लंघन करने पर भारी जुर्माने के साथ जेल भी हो सकती है। यह कानीन इस लिए बनाया गया था क्योंकि पराली जलाने से पर्यावरण को काफी क्षति पहुंचती है और प्रदूषण भी अधिक मात्रा में होता है। इसके के कारण पराली जलाने पर सख्त कानून बनाया गया है जिसके बाद भी कुछ किसान अभी भी पराली को चुप-चाप जला रहे हैं। इसको लेकर प्रशासन ने अपनी टीमों को गावों में उतार दिया लेकिन किसानों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है।कठित टीमें दिन में शिकंजा कसा करती हैं वहीं रात के संनाटे में ये किसान प्रशासन की आंखों में धुआ झोक रहे हैं। किसानों ने पर्यावरण को ध्वस्त करने की ठान ली है साथ ही आलम यह है कि किसान रात को पराली जलाते हैं वहीं दूसरी तरह उसके निशानों को भी मिटा देते हैं। निशान पता ना चले इसके लिए किसान खेत की जोताई कर देते हैं।


इस तरह की चलाकी जोनिहा जहानाबाद मार्ग के किसानों द्वारा हर रोज की जा रही है। कुछ यही आलम यमुना कटरी इलाके का भी है जहां किसान रात का फायदा उठाकर पराली जलाने जैसे अपराध को आंजाम दे रहे हैं। किसानों से पूछताछ करने पर वे पराली की राख को उत्पादन शक्ति बढ़ाने के लिए उपयोगी बताते हैं। जबकि उन्हें यह पता है कि पराली जलाना संगीन अपराध है जिसके लिए उन्हें जेल भी हो सकती है।

किसानों की झूठी दलीलें सुनने के बाद जिला कृषि अधिकारी बृजेश सिंह ने जानकारी दी। बृजेश का कहना है कि खेत में पराली जलाने से खेत की उत्पादन शक्ति बढ़ती नही बल्कि कम हो जाती है। यदि आप पराली को अपने खेत से हटाना चाहते हैं तो आप इसे निकट गोशालाओं में दे सकते हैं ताकि वे इसे खा सकें साथ ही ठंड से भी बच सकें। किसान को पराली जलाना सरल लगता है और पराली जलाकर वह जल्द से जल्द अपना खेत खाली कर उस में दूसरी फसल लगाता है।

पराली जलाने के बाद निशान मिटाते किसान
LIVE TV