प्रदेश में स्वास्थ व्यवस्थाओ को दुरुस्त करने के लिए शासन ने बनाई रणनीति, तैयार होगा अस्पतालों का डाटा

शकुन्तला

प्रदेश में बिगड़ी स्वास्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए शासन नयी रणनीति तय कर चूका है। इसके तहत जिन जगहों पर सर्जरी सहित अन्य मरीजों की संख्या कम है उसकी वजह तलाश की जायेगी। साथ ही जिन चिकित्सा संस्थानों पर मरीजों की संख्या अधिक है उसे कम करने का प्रयास भी किया जायेगा। इसके लिए प्रदेश के 18 मंडलो को 5 भागो में बांटा गया है इसकी निगरानी के लिए पांच संयुक्त अधिकारी नियुक्त किये गए है।

प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों में सर्जरी के लिए मरीजों की लम्बी वेटिंग है तो वही कई अस्पतालों में बहुत कम मरीज पहुंच रहे हैं। जिसकी वजह से चिकित्सा संस्थानों में सामान्य सर्जरी सहित अन्य मरीजों के पहुंचने से, डॉक्टर गम्भीरमरीजों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। केजीएमयू में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस पर नाराजगी जताई थी।

मुख्यमंत्री ने मरीज की स्थिति के अनुसार उन्हें अन्य अस्पतालों में रेफर करने की सवाल दी थी। इस पर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस बैठक में स्वास्थ यवस्था सुधारने की रणनीति तैयार की गई और तय किया गया कि सभी जिला अस्पतालो से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रो पर पहुंचने वाले मरीजों का आकलन किया जाए। इसके लिए हेल्थ मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम पोर्टल के डाटा का सहारा लिया जाएगा।

इस डाटा के आधार पर प्रतिदिन आने वाले सामान्य मरीजों, सर्जरी के लिए आये मरीजों के साथ  फीवर के लिए आये मरीजों का आकलन किया जाएगा। जिससे यह पता चलेगा कि जिला अस्पतालो, महिला अस्पतालो और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रो पर हर दिन सर्जरी और फीवर के लिए पहुंचने वाले मरीजों की संख्या कितनी है?और  जिस अस्पताल में सर्जरी के ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं, वहां कितने डॉक्टर कार्यरत हैं और ऑपरेशन थियेटर, ओटी स्टॉफ आदि की क्या व्यवस्था है? जिन जगहों पर मरीजों की संख्या कम है, वहां पर डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ आदि का भी आकलन किया जायेगा।

इसी तरह अन्य प्रमुख बीमारियों के मरीजों की संख्या का भी आकलन किया जाएगा। साथ ही  यह भी इस बात किम भी जांच की जायेगी की जिन अस्पतालों में पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं, वहां मरीजों की संख्या क्यों कम हो रही है? इस पर रोज की स्थिति का आकलन करके मासिक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। फिर उसी हिसाब  मेडिकल स्टाफ और संसाधनो का प्रबंधन किया जाएगा। जहां सर्जरी व अन्य प्रोसीजर कम हो रहे हैं, वहां के चिकित्साधिकारियों से बात कर व्यवस्था को दुरुस्त किया जायेगा।

इन मंडल प्रभारीयो की हुई नियुक्ति

अस्पतालों और वहाँ की व्यवस्थाओ की रिपोर्ट का आकलन करने के लिए संयुक्त निदेशक चिकित्सा उपचार डा. किरण मलिक को वाराणसी, कानपुर, लखनऊ मंडल की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह संयुक्त निदेशक चिकित्सा उपचार डा. संतोष गुप्ता को झांसी, देवीपाटन, अयोध्या, गोरखपुर, राज्य कुष्ठ अधिकारी डा. जया देहलवी को मिर्जापुर, आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, संयुक्त निदेशक गोपन डा. योगेश करोली को आजमगढ़, बरेली, बस्ती, चित्रकूट और संयुक्त निदेशक अभिलेख दर्शन डा. उषा देवी गंगवार को मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल की जिम्मेदारी दी गई है।

ये होगा फायदा

देश में पहली बार किसी प्रदेश में  इस तरह का कोई मॉडल अपनाया गया है। इससे सर्जरी सहित अन्य मरीजों को अधिक संख्या में उपचार करने वाले और कम उपचार करने वाले अस्पतालों का डाटा तैयार किया जाएगा। जिन अस्पतालों में मरीजों की संख्या अधिक है, वहां संसाधनो को और बढ़ाया जाएगा और जिन अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम है, उसकी वजह तलाश की जाएगी। इससे अस्पतालों पर अनावश्यक दवाब नहीं रहेगा और मरीजों को इलाज के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

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