ये खास उपाय दिलाएंगे आपको मोटापे से मुक्ति..

पेट के मोटापेआज के दौर में लोग अपने काम के आगे अपनी सेहत को भी कमतर आंकते हैं ऐसे में सेहत बिगड़ने से उन्हे रेजाना ही किसी न किसी बीमारी से आमना सामना करना पड़ता है। वहीं लोगों में पेट के मोटापे से जुड़ी बीमारी होना आम बात हो चुकी है। लोग आम तौर पर मोटापे का माप बीएमआई से लेते हैं, लेकिन केवल कद और वजन से मोटापे का सही माप नहीं लिया जा सकता। वैदिक चिकित्सा के मुताबिक मानव की तीन किस्म की शख्सियतें होती हैं-वात यानी हिरन, पित्त यानी शेर और कफ यानी हाथी। हिरन वाले लोगों का बीएमआई कम हो सकता है। जबकि हाथी शख्सियत के लोगों का बीएमआई ज्यादा हो सकता है, फिर भी उन्हें मोटा नहीं, बल्कि सामान्य माना जा सकता है।

मोटापा मापने का नया और सही तरीका है बॉडी फैट का माप, खास कर पेट और कमर के गिर्द फैट। पुरुष, जिनके पेट का घेरा 90 सेंटीमीटर और महिलाएं, जिनके पेट का घेरा 80 सेंटीमीटर से ज्यादा है उन्हें पेट का मोटापा होता है। पेट का मोटापा भविष्य में दिल के दौरे और डायबिटीज का कारण बन सकता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मानद महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया, “सामान्य वजन मोटापे से पीड़त लोगों का बीएमआई सामान्य होता है, लेकिन उनके पेट का घेरा असामान्य होता है। ये वे लोग होते हैं जो सामान्य दिखते हैं, लेकिन उनका पेट लटका होता है। ऐसे लोगों का अगर लीवर अल्ट्रासाउंड करेंगे तो उनका लीवर बढ़ा हुआ मिलेगा। ऐसे लोगों को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके अपनी जीवनशैली में आवश्यक बदलाव करने चाहिए, ताकि भविष्य में जानलेवा बीमारियों से बचा जा सके।”

कद के साथ-साथ अगर वजन बढ़ता रहे तो इसमें कोई समस्या नहीं होती। जब कद एक जगह पर रुक जाए, उसके बाकी अंगों का विकास भी रुक जाता है। लड़कियों में यह 16 की उम्र में और लड़कों में 18 साल की उम्र में आमतौर पर होता है। इसके बाद किसी के लीवर, तिल्ली और किडनी का आकार नहीं बढ़ता। इसके बाद केवल फैट ही बढ़ती है।

पांच किलो तक वजन मांसपेशियां बनने से बढ़ सकता है, लेकिन इस उम्र के बाद अगर किसी का वजन बढ़ने के कुछ और कारण न हों तो उसे मोटापा ही कहा जाता है। इसकी प्रमुख वजह रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्युक्त आहार लेना है, जो सफेद चीनी, सफेद मैदे और सफेद चावलों में पाया जाता है।

शायद हमारे पूर्वजों को पहले से पेट के मोटापे का ज्ञान था, इसलिए उन्होंने हफ्ते में एक दिन कार्बोहाइड्रेट का उपवास रखने का रास्ता अपनाया था।

 

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