पुण्यतिथि विशेष : चुनाव हार जाने के बाद फिल्म देखने चले जाते थे अटल, इन चीजों पर आता था गुस्सा

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 16 अगस्त 2021 को तीसरी पूणयतिथि है। उन्होंने 16 अगस्त 2018 को अंतिम सांस ली थी। अटल बिहारी वाजपेयी का नाम सुनकर भारतीय राजनीति में सबसे सम्मानित शख्सियत का चेहरा उभर आता है। अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े कई रोचक किस्से है। आज हम आपको उनके इन्हीं किस्सों से रू-ब-रू कराएंगे….

PM Modi, Amit Shah, Rajnath Singh remember Atal Bihari Vajpayee on second  death anniversary

1) टीवी बंद कर दिया तो नाराज हो गए : अटलजी जब नौ साल बीमार रहे और शरीर लकवाग्रस्त हो गया था तो वे अक्सर टीवी देखा करते थे। 2014 में हुए कुछ चुनाव नतीजे भी उन्होंने टीवी पर देखे। वे बोलते नहीं थे, लेकिन उनके चेहरे पर आ रहे हाव-भाव खबरों को लेकर उनकी रिएक्शन बता देते थे। परिवार के सदस्य और सहयोगी उन्हें अखबार पढ़कर सुनाते थे। एक बार टीवी पर सदन की कार्यवाही का प्रसारण हो रहा था, तभी किसी ने टीवी बंद कर दिया तो अटलजी बच्चों की तरह गुस्सा हो गए। बाद में जब दोबारा टीवी चालू किया गया तो उनके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। जब पुरानी फिल्में टीवी पर आ रही होती थीं तो वो मौन होकर देखा करते थे। 

2) पैदल संसद जाते थे : लालकृष्ण आडवाणी ने एक बार दैनिक भास्कर को 1957 का किस्सा बताया था। तब अटलजी पहली बार सांसद बने थे। भाजपा नेता जगदीश प्रसाद माथुर और अटलजी दोनों एक साथ चांदनी चौक में रहते थे। पैदल ही संसद जाते-आते थे। छह महीने बाद अटलजी ने रिक्शे से चलने को कहा तो माथुरजी को आश्चर्य हुआ। उस दिन उन्हें बतौर सांसद छह महीने की तनख्वाह एक साथ मिली थी। माथुरजी के शब्दों में यही हमारी ऐश थी। 

3) आडवाणी के मन में कॉम्प्लेक्स था : 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई। 1953 में इसका पहला राष्ट्रीय अधिवेशन था। आडवाणी बताते हैं कि एक डेलीगेट होने के नाते मैं राजस्थान से आया था, तब पहली बार अटलजी को देखा और सुना। वे एक बार राजस्थान आए। पार्टी ने मुझे उनके साथ रहने के निर्देश दिए थे। उनकी ऐसी छाप मेरे मन पर पड़ी कि मैं जीवन भर उस अनुभव को नहीं भूल पाया, क्योंकि उन्होंने मेरे मन में कॉम्प्लेक्स पैदा कर दिया कि मैं नहीं चल पाऊंगा इस पार्टी में, क्योंकि जहां इतना योग्य नेतृत्व हो, वहां मेरे जैसा व्यक्ति जो एक कैथोलिक स्कूल में पढ़कर आया हो, जिसे हिंदी बहुत ही कम आती हो, वो कैसे काम करेगा? 

4) चुनाव हारकर फिल्म देखने चले गए थे : आडवाणी के मुताबिक, दिल्ली में नयाबांस का उपचुनाव था। हमने बड़ी मेहनत की, लेकिन हम हार गए। हम दोनों खिन्न थे। दुखी थे। अटलजी ने मुझसे कहा कि चलो, कहीं सिनेमा देख आएं। अजमेरी गेट में हमारा कार्यालय था और पास ही पहाड़गंज में थिएटर। नहीं मालूम था कि कौन-सी फिल्म लगी है। पहुंचकर देखा तो राज कपूर की फिल्म थी- ‘फिर सुबह होगी’। मैंने अटलजी से कहा, ‘आज हम हारे हैं, लेकिन आप देखिएगा सुबह जरूर होगी।’ हम अक्सर तांगे से अजमेरी गेट से झंडेवालान तक खाना खाने जाते थे।

5) जब अटलजी को उनसे पूछे बिना पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया : आडवाणी के मुताबिक, मैंने 1995 में मुंबई की सभा में यह घोषणा कर दी कि मुझे भरोसा है कि अगले साल होने वाले चुनाव में हमारी पार्टी विजयी होगी और तब हमारे प्रधानमंत्री वाजपेयी होंगे। वे मंच पर बैठे थे। उन्होंने तुरंत कहा, ‘यह आपने क्या घोषणा कर दी। मुझसे पूछा भी नहीं?’ मैंने कहा, ‘मैं पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते इतना अधिकार तो रखता हूं आप पर कि आपको पीएम पद का उम्मीदवार बना दूं।’ 

RIP Atal Bihari Vajpayee - India News

6) बच्चे की तरह डिज्नीलैंड का लुत्फ लिया : करियर का कोई भी पड़ाव क्यों न रहा हो, उनके अंदर का ‘बालक’ हमेशा जीवित रहा। 1993 की बात है। अमेरिका दौरे के वक्त फुर्सत के पलों में वे ग्रैंड कैनियन और डिज्नीलैंड जा पहुंचे। बाल सुलभ कौतूहल के साथ लाइन में लगे। टिकट खरीद कर राइड्स का आनंद लिया। उनके व्यक्तित्व का यह पहलू बहुत कम जाना गया। 

7) जब राव ने वाजपेयी के हाथ में थमा दी पर्ची : बात 1996 की है। वाजपेयी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। नरसिम्हा राव ने चुपके से वाजपेयी के हाथ में एक पर्ची पकड़ाई। ऐसे कि कोई देख न पाए। इस पर्ची में राव ने वे बिंदु लिखे थे जो वह खुद बतौर प्रधानमंत्री करना चाहते थे, किंतु चाहकर भी न कर पाए। 

8) कारगिल के बाद कहा था – मैं खुद को भारत रत्न कैसे दे दूं… : कारगिल युद्ध के बाद अटलजी को उनके कुछ मंत्रियों ने कहा, “हम आपको भारत रत्न देना चाहते हैं।” अटलजी ने डांटते हुए कहा, “मैं खुद को भारत रत्न दे दूं क्या? भविष्य में किसी सरकार को लगेगा तो वो देगी, मैं खुद को नहीं दूंगा।” कारगिल युद्ध के बाद संबंध सुधारने के लिए वाजपेयी ने 2001 में परवेज मुशर्रफ को आगरा बुलाया था। ‘टेररिज्म’ शब्द को लेकर वाजपेयी की दृढ़ता के चलते मुशर्रफ को बैरंग पाकिस्तान लौटना पड़ा था।

9) नेहरू ने कहा था- इनमें संभावनाएं हैं : बीबीसी ने किंगशुक नाग की किताब ‘अटलबिहारी वाजपेयी- ए मैन फॉर ऑल सीजन’ के हवाले से लिखा था कि एक बार नेहरू ने भारत यात्रा पर आए एक ब्रिटिश राजनयिक से वाजपेयी को मिलवाते हुए कहा था, “‘इनसे मिलिए। ये विपक्ष के उभरते युवा नेता हैं। हमेशा मेरी आलोचना करते हैं लेकिन इनमें मैं भविष्य की बहुत संभावनाएं देखता हूं। ये एक दिन देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।’’

10) नवाज को फोन पर मिला था झटका : पाकिस्तानी पत्रकार नसीम जेहरा की किताब ‘फ्रॉम कारगिल टू द कॉप’ में अटलजी की ओर से नवाज शरीफ का भारत दौरा रद्द किए जाने का जिक्र है। इसमें लिखा है कि 1999 में शरीफ भारत आने वाले थे। उन्होंने फैक्स से गुडविल मैसेज भी भारत भेज दिया था। करीब रात 10 बजे आया अटलजी का जवाब तोप के गोले की तरह था। उन्होंने लिखा था कि वे नवाज को भारत नहीं बुला रहे हैं, बल्कि पाकिस्तान से कारगिल में मौजूद सेना हटाने की मांग कर रहे हैं। ताकि दोनों पक्षों के बीच बातचीत की शुरुआत हो सके। 

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