पीलीभीत में सामने आया अस्पताल की धोखाधड़ी का मामला, मृत व्यक्ति के इलाज का भी दे दिया बिल

Report:- Ritik Dwivedi/Pilibhit

2015 में फिल्मी पर्दे पर दिखाई गई अभिनेता अक्षय कुमार की फ़िल्म गब्बर इज बैक में निजी अस्पतालों की पोल खोलते हुए मृत युवक की  इलाज कर रुपए वसूलने के सीन दर्शकों ने खूब  देखा था, लेकिन हकीकत की बात करे तो ताजा मामला पीलीभीत शहर के नामचीन अस्पताल डॉ मैकूलाल वीरेंद्र नाथ हॉस्पिटल में देखने को मिला है,

जहाँ एक मृत युवक काे अस्पताल में भर्ती कर वेंटिलेटर पर रखकर मृतक युवक के परिजनों से डॉक्टर पर एक लाख रुपए ठग लेने का आरोप लगा है। मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 24 घंटे पहले ही हो चुकी थी मौत।

अस्पताल में धोखाधड़ी

आप जो ये तस्वीरों में देख रहे है ये पीलीभीत शहर का वही नामचीन पंडित मैकूलाल वीरेंद्र नाथ का हॉस्पिटल है जहाँ मृत राजू को वेंटीलेटर पर रखकर इलाज के नाम पर 1लाख रुपए  ठग लेने का आरोप लगा है। पेश है एक खास रिपोर्ट।

थाना पूरनपुर क्षेत्र के गांव शिकराहना की रहने बाली है शारदा देवी की माने तो 6 जून को उसके पति राजू का   एक्सीडेंट हो गया था गंभीर हालत में हम उन्हें सबसे पहले अवध नरसिंग होंम डॉक्टर जे एन मिश्रा के अस्पताल ले गए जहाँ डॉक्टर ने उन्हें देखने के बाद इलाज करने से मन कर दिया.

इसके बाद हम पास के ही एस एस हॉस्पिटल डॉ एस के अग्रवाल के यहां ले गए बहां डॉक्टर ने मेरे पति के शरीर में कोई भी हरकत न होने से घर बापस ले जाने को कहा ,घर बापस लाते समय तसल्ली के लिए  एम्बूलेंस  चालक के कहने पर उन्हें शहर के नामचीम अस्पताल डॉ मैकूलल वीरेंद्र नाथ हॉस्पिटल डॉ योगेन्द्र नाथ के यहां ले गये जहां डॉक्टर ने देखने के बाद भर्ती कर लिया और एक एग्रीमेंट पर साइन करालिये और बाद में  वेंटिलेटर पर रखने के नाम पर 40 हजार रुपए जमा करा लिए इलाज शुरू करने की बात कही, सुबह होते ही आगे के ट्रीटमेंट के लिए 60 हजार रुपए और जमा कर लिए ।

अगले दिन  सुबह को जब  मैं और मेरे परिजन  राजू को देखने गए तो उनकी आंखों पर पट्टी बंधी थी और ऊपर आंखों पर टेप चिपका हुआ था ।शक होने पर परिजनों ने कारण पूछा तो हालात गंभीर होने का हवाला देते हुए 72 घंटे बाद कुछ बताने की बात कही। और फिर 8जून को अचानक समय करीब 11 बजे  हायर ट्रीटमेंट सेंटर ले जाने की सलाह देकर जबरन रेफर लेटर बना दिया ।

जबकि उनकी मौत हो चुकी थी। मामला एक्सीडेंट का होने के कारण दोपहर  बाद राजू का पोस्मार्टम कराया गया और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में राजू की 12 से 24 घंटे मौत होने बताई गई है। इससे ये सिद्ध हो गया कि राजू की मौत पहले ही हो चुकी थी इसीलिए पहले से दिखाए गए डॉक्टरों ने लेने से मन कर दिया था।

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घटना के बाद से एक माह बीत जाने के चलते मृतक के परिजन पुलिस  और स्वास्थ्य महकमे के चक्कर काटकर थक  चुके थे ।लेकिन भारी भरकम और रसूखदार डॉक्टर के आगे प्रशाशन भी लाचार होता दिखाई दिया ।

अंत मे जाकर मृतक के परिजनों को राजनैतिक लोगो की शरण मे जाना पड़ा और भीम आर्मी पार्टी के पदाधिकारियों से मदद की  गुहार लगाई और उन्हें साथ लेकर सी एम ओ से मिलकर डॉक्टर के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए एक ज्ञापन दिया।मामला राजनैतिक लोगो की नजर में आते ही तूल पकड़ता देख तत्काल प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन कर दिया है ।

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