पीएम मोदी का गुजरात दंगों से हटा नाम, कोर्ट ने दी इन मामलों में राहत

गुजरात की एक अदालत ने 2002 के दंगों में मुआवजे को लेकर दाखिल एक मुकदमे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम हटा दिया है। एक ब्रिटिश परिवार ने दंगों में मारे गए तीन रिश्तेदारों के लिए मुआवजे के तौर पर 23 करोड़ की राशि का मुकदमा किया हुआ है।


साबरकांठा जिले की अदालत ने पीएम मोदी का नाम शामिल करने के लिए उचित वजह नहीं होने का तर्क देते हुए उनका नाम हटा दिया। प्रिंसपल सिविल जज एस. के गढ़वी ने कहा, “अभियोग को पढ़ते हुए यह लगा कि अभियुक्त 1 (मोदी) के खिलाफ बेवजह के आरोप लगाए गए हैं। इससे घटना पर सवालिया निशान लगता है। मेरे ख्याल से अभियुक्त 1 के खिलाफ बिना सबूत के ऐसे निराधार आरोप से एक्शन लिए जाने की कोई वजह नहीं बन पाएगी।”

पीएम मोदी का नाम हटाए जाने के लिए कोर्ट में एप्लिकेशन दी गई थी, जिसके मुताबिक ऐसी घटना के लिए स्टेट को जवाबदेह ठहराया जा सकता है, मोदी को व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

2002 के गुजरात दंगों से जुड़े तीन सिविल सूट में साबरकांठा जिले की एक तालुका कोर्ट ने पीएम नरेंद्र मोदी का नाम हटाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने शनिवार (05 सितंबर) को यह आदेश जारी किया है. तीनों मामलों में नरेंद्र मोदी को प्रतिवादी बनाया गया था. ये मामले दंगों के पीड़ितों के रिश्तेदारों ने दाखिल कराए थे।

मोदी के अलावा छह अन्य आरोपियों की भी अदालत ने मुआवजा केस से बरी कर दिया है. इनमें राज्य के पूर्व गृह मंत्री गोरधन ज़डफिया, दिवंगत डीजीपी के चक्रवर्ती, गृह विभाग में पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक नारायण, दिवंगत आईपीएस अधिकारी अमिताभ पाठक, तत्कालीन निरीक्षक डी के वानीकर और राज्य सरकार भी शामिल है।

ब्रिटिश नागरिक इमरान और शिरिन दाउद ने 2004 में नरेंद्र मोदी और 13 अन्य के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. उन्होंने अपने रिश्तेदारों सईद दाउद, शकील दाउद, मोहम्मद असवत की मौत के लिए मुआवजा मांगा है. जयपुर से नवसरी लौटते वक्त 28 फरवरी 2002 को इन तीनों पर प्रांतीज के पास हमलाकर मौत के घाट उतार दिया गया था।

यह दलील दी गई कि पीएम मोदी का नाम बिना किसी वजह के जोड़ा गया। यह भी कहा गया कि मोदी के खिलाफ राजनीतिक आरोप लगे थे लेकिन नानावटी आयोग ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है।

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