पहले भी किसानों के सामने पीएम मोदी को पड़ा था झुकना, वापस लिया था भूमि अधिग्रहण अध्यादेश

केंद्र सरकार को आखिरकार नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलनरत किसानों के सामने झुकना पड़ा है। पीएम मोदी ने 19 अक्टूबर 2021 को सुबह 9 बजे अपने संबोधन के दौरान कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है। विपक्ष इस फैसले को किसानों की जीत बता रहा है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह किसी फैसले पर सरकार बैकफुट पर आई है। इससे पहले केंद्र सरकार को भूमि अधिग्रहण कानून भी वापस लेना पड़ा था।

आपको बता दें कि किसान नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसान लगातार आंदोलन कर इन कानूनों को वापस लेने की बात कर रहे थे। उन्हें कानूनों की वापसी से कमतर कुछ भी मंजूर ही नहीं था। केंद्र सरकार की ओर से कई बार कानूनों में संशोधन की बात की गई लेकिन किसान अपनी मांगों पर अडिग रहें। दो साल तक कानून को सस्पेंड करने के आश्वासन के बाद भी किसान आंदोलन खत्म करने को लेकर राजी नहीं हुए।

ज्ञात हो कि यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को अपने कदम वापस लेने पड़े हों। इससे पहले भी सरकार को एक अध्यादेश वापस लेना पड़ा था। जिस दौरान सरकार को भूमि अधिग्रहण अध्यादेश वापस लेना पड़ा था उस समय पीएम मोदी को शपथ लिए कुछ ही समय हुआ था। दरअसल सत्ता में आने के बाद सरकार ने नया भूमि अधिग्रहण अध्यादेश बनाया था। इसके जरिए भूमि अधिग्रहण को सरल बनाने के लिए किसानों की सहमति का प्रावधान खत्म कर दिया गया था। जमीन अधिग्रहण के लिए 80 फीसदी किसानों की सहमति जरूरी थी। नए कानून में किसानों की सहमति के प्रावधान को ही समाप्त कर दिया गया था।

किसानों ने इसका विरोध किया और उस दौरान सरकार ने इसे लेकर चार बार अध्यादेश जारी किए। लेकिन इससे संबंधित बिल संसद में पास नहीं करवा पाए। अंत में सरकार को कदम वापस खींचने पड़े। मोदी सराकर ने 31 अगस्त 2015 को यह कानून वापस लेने का ऐलान किया था।

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