पति-पत्नी के झगड़े अगर बच्चों के सामने होते हैं, तो बच्चे अपराधबोध के शिकार हो जाते हैं

पति-पत्नी के झगड़े अगर बच्चों के सामने होते हैं तो इससे उनके मन पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
पति-पत्नी के झगड़े अगर बच्चों के सामने होते हैं, तो बच्चे अपराधबोध के शिकार हो जाते हैं

दुनिया में शायद ही ऐसा कोई कपल हो, जिनके बीच नोंक-झोंक या तकरार न होती हो। लेकिन जब यही कपल पैरेंट बन जाता है तो उन्हें थोड़ा समझदारी का परिचय देना होता है। कुछ कपल्स ऐसे होते हैं जो अपने बच्चों के सामने ही झगड़ा करने लगते हैं। कई बार तो वे झगड़ा करते समय शब्दों की मर्यादा का ख्याल भी नहीं रखते।

आपके लिए भले ही यह बात सामान्य हो या फिर आप दोनों को इस बात से कोई फर्क न पड़ता हो। लेकिन बच्चे के कोमल मन पर इसका बहुत गहरा और नेगेटिव प्रभाव पड़ता है। कई बार देखने में आता है कि जिन माता-पिता की अपने बच्चों के सामने अक्सर लड़ाई होती हैं।

उनके बच्चों का स्वभाव दब्बू, उग्र, गुस्सैल या चिड़चिड़ा होता है। इसलिए अगर पैरेंट्स के बीच किसी बात को लेकर मतभेद है भी, तो उसे अकेले व शांति से सुलझाएं। आपके जिगर के टुकड़े को तो हमेशा यही लगना चाहिए कि वह एक हैप्पी फैमिली का हिस्सा है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि माता-पिता का बच्चों के सामने झगड़ने से उस पर क्या असर होता है-

असुरक्षा का भाव

घर किसी भी बच्चे के लिए सबसे सुरक्षित स्थान होता है, जहां पर उसे बेहद प्यार व केयरिंग मिलती है। लेकिन अगर उसी घर में बच्चे को हमेशा लड़ाई-झगड़े या तनाव का माहौल नजर आता है तो इससे उसके मन में डर, चिंता व असहाय होने का भाव समा जाता है, जो उसके पूरे व्यक्तित्व को प्रभावित करता है। ऐसा बच्चा जीवन भर एक असुरक्षा के भाव के साथ जीता है।

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अपराधबोध के शिकार हो जाते हैं बच्चे

कई बार ऐसा होता है कि माता-पिता के झगड़े का विषय उसके बच्चे ही होते हैं। अगर वास्तव में ऐसा है तो इससे बुरा बच्चे के लिए शायद और कोई न हो। जो पैरेंट्स बच्चे के सामने उसे लेकर झगड़ते हैं, उस बच्चे के मन में एक अपराधबोध और दोषी होने का भाव उत्पन्न होता है।

ऐसे में बच्चा इमोशनली डिस्टर्ब रहने लगता है। उसे मन ही मन लगने लगता है कि उसके पैरेंट्स के झगड़े की वजह वही है और वह नहीं होता तो उसके पैरेंट्स शायद ज्यादा खुश होते। कई बार तो इसके कारण बच्चा खुद को हानि भी पहुंचा लेता है।

आत्मविश्वास और आत्म सम्मान में कमी

माता-पिता के बीच होने वाले बार-बार झगड़े और उन झगड़ों के कारण बच्चों के मन में असुरक्षा, अपराधबोध और शर्म का भाव लॉन्ग टर्म में उसके आत्मसम्मान को चोट पहुंचाते हैं। अक्सर देखा जाता है कि ऐसे बच्चों के भीतर आत्मविश्वास व आत्मसम्मान में कमी होती है जिससे आगे चलकर उसकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ प्रभावित होती है।

बच्चों में पड़ती हैं गलत आदतें

यह हम सभी जानते हैं कि बच्चे के लिए उसके माता-पिता ही उसके सबसे पहले रोल माॅडल व शिक्षक होते हैं। लेकिन जिन घरों में पैरेंट्स छोटी-छोटी बातों पर झगड़ते हैं, वहां पर बच्चा भी उन्हें देखकर यही सीखता है। उसके बाद वह भी अपनी बात मनवाने के लिए चीखता-चिल्लाता या गुस्सा करता है। इतना ही नहीं, वह घर के अलावा दोस्तों के साथ या स्कूल में भी वैसा ही व्यवहार करता है। कुछ बच्चे तो बड़े होने के बाद विवाह के पश्चात अपने पार्टनर से भी वैसा ही गलत व्यवहार करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके माता-पिता हमेशा से ऐसा करते आए हैं और यह व्यवहार बिल्कुल ठीक है।

पढ़ाई व स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

घर में माता-पिता के लगातार होते झगड़े बच्चे को हमेशा ही इमोशनली डिस्टर्ब करते हैं और परिणामस्वरूप बच्चा अपना ध्यान कहीं पर भी केन्द्रित नहीं कर पाता। इससे एक ओर उसके नंबर कम होते चले जाते हैं, वहीं दूसरी ओर इस कारण वह दोहरे दबाव में जीता है। जिससे वह कई तरह के शारीरिक व मानसिक समस्याओं से जूझने लगता है।

कुछ बच्चे इस चलते इमोशनल ईटिंग करने लग जाते हैं तो कुछ बच्चों को नींद संबंधी समस्याएं हो जाती हैं। अत्यधिक अस्थिर वातावरण में बढ़ते हुए बच्चे कई बार डिप्रेशन, एडीएचडी, ओसीडी जैसे मानसिक विकारों से भी ग्रस्त हो जाते हैं।

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