नया तोहफा : अब करिए कैशलेस शादी, खटखटाइए इस मंदिर का दरवाजा

नोटबंदी का एक माहलखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के पुराने नोट बंद करके एक बेहद क्रांतिकारी फैसला लिया। हमारा देश इस बात का प्रमाण दे रहा है। आज नोटबंदी का एक माह बीत चुका है। भले लोगों को इस फैसले से दिक्कतें आ रही हैं। बैंको में भीड़, मुद्रा के लेन-देन और खरीदारी उस रफ़्तार से नहीं हो पा रही, जैसे 8 नवंबर के पहले होती थी। लेकिन अब वह दिन दूर नहीं हैं, जब लोग पूरी तरह से कैशलेस प्रणाली को अपना लेंगे। ऐसा कहना देश के उन लोगों का है, जिन्होंने इस मुश्किल से निकलने का न सिर्फ रास्ता खोज निकाला है बल्कि इस बारे में अन्य लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं।

नोटबंदी का एक माह, सिखाया बहुत कुछ

सरकार कैशलेस व्‍यवस्‍था पर जोर दे रही है। इस बीच कम खर्च में शादी-विवाह के कई मामले सामने आए। लोग डेबिट/क्रेडिट कार्ड और मोबाइल फोन से भुगतान करने लगे हैं।

इस दौर में लोगों को किन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और वे किस तरह अपना काम चला रहे हैं।

मध्‍यप्रदेश के बैतूल जिला मुख्‍यालय के नजदीक गांव मंडई के रहने वाले उमाशंकर सातनकर का विवाह 5 दिसंबर को भोगीतेड़ा गांव की साधना पाटिल के साथ कैशलेस तरीके से हुआ। इनकी शादी 15 नवंबर को होनी थी। दोनों ही परिवारों ने नोटबंदी से पहले पूरी राशि बैंक में जमा कर दी थी। जब शादी के लिए पैसों का इंतजाम नहीं हो पाया तो दोनों परिवारों ने आपसी सहमति से विवाह की तारीख 15 नवंबर को कैंसिल कर दी।

उमाशंकर बताते हैं कि मैंने अखबार में पढ़ा कि बैतूल का बालाजीपुरम मंदिर गरीब परिवारों की कैशलेस शादी करवा रहा है। मैंने अपने और साधना के परिजनों से अनुमति ली और बालाजीपुरम मंदिर गया।

मंदिर के प्रधान पुरोहित ने पूरे वैदिक रीति-रिवाज से विवाह संपन्न कराया। उनका कहना है कि उन्हें अब भी यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसे भी कोई कैशलेस शादी हो सकती है।

वहीं झारखंड की राजधानी रांची में प्‍ले स्‍कूल की संचालिका अनु रश्मि प्रसाद कहती हैं कि नोटबंदी के फैसले से कहर टूटने की बात बस अखबारों में ही पढ़ रही हूं। निजी जीवन में कोई दिक्कत नहीं आई।

रोजाना की जरूरत के सामान के लिए मोहल्ले के दुकानदारों ने उदारता से उधारी दी। बड़ी शॉपिंग में डेबिट कार्ड काम आया। स्कूल से जुड़े सारे काम चेक पेमेंट से पूरे हुए।

उनका कहना है कि इस बीच कुछ अच्छा हुआ तो नेट फ्रेंडली होने का बेहतर मौका मिला। अब ऑनलाइन शॉपिंग के सारे फंडे जानती भी हूँ और अपनाती भी।

हाल ही में बिहार के कटिहार जिले में एक फैमिली ने मात्र 1100 रुपए में शादी कर लोगों से सामने मिसाल पेश की।

जिला मुख्‍यालय से 24 किमी की दूरी पर स्थित चितौरिया गरीघाट निवासी योंगेंद्र साहनी ने अपनी लड़की सरस्वती की शादी गांव के ही मुंशी साहनी के बेटे राजा से महज 1100 रुपए में शादी कर मिसाल पेश की।

बारातियों का चाय और लड्डू के साथ स्वागत किया गया। शादी में बतौर खर्च के रूप में दुल्हन के लिए 300 रुपए की साड़ी, दूल्हे के लिए 400 रुपए का पैंट-शर्ट। 200 रुपए के लड्डू और लगभग इतने ही रुपए का खर्च शादी के दौरान मौजूद लोगों को चाय पिलाने में किया गया।

शादी करने वाले युवक राजा कुमार का कहना है कि नोटबंदी से दिक्कत हो रही है। उनके अकाउंट में रुपए हैं लेकिन जरूरत के मुताबिक वो निकाल नहीं पा रहे हैं। राजा का कहना है कि वे पत्नी को गिफ्ट देना चाहते हैं। जब स्थिति सामान्‍य होगी और वे पैसे निकाल पाएंगे, तब पत्‍नी को गिफ्ट देंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अचानक नोटबंदी का असर सबसे ज्यादा उन घरों पर पड़ा जहां शादियां थीं। कुछ ऐसे भी जोड़े थे, जिन्होंने नोटबंदी से निपटने का अनोखा रास्ता खोज ही निकाला।

उत्‍तर प्रदेश के वाराणसी में राज चौबे ने ऋचा सिंह से एक मंदिर में शादी की और बारातियों का स्वागत चाय, नमकीन और गुलाब जामुन से किया।

राज का कहना है कि शादी में फिजूलखर्ची बहुत होती है। नोटबंदी के बाद मैंने अपनी होने वाली पत्नी से बात की और निर्णय लिया की सादगी से मंदिर में शादी करेंगे। इसमें दोनों परिवारों ने सहयोग किया।

राज ने कहा कि अगर शादी में इसी तरह से फिजूलखर्ची होती रही तो आने वाले समय में गरीब शादी कैसे करेगा। उन्होंने कहा ऐसा नहीं था कि हम शादी का खर्चा अफोर्ड नहीं कर सकते थे, लेकिन हम एक मैसेज देना चाहते थी कि शादी की असली खुशी सभी के खुश होने में है।

नोटबंदी के एक महीने बाद भी लोगों की परेशानी पर राज का कहना है कि लोग आज अपने घर में ज्यादा कैश रखना चाह रहे हैं। पहले उनके घर में जितना कैश होता था, उससे ज्यादा निकालना चाह रहे हैं।

अपने घर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मेरे घर में 10 हजार की जरूरत है। लेकिन अगर मैं इस डर से ज्यादा पैसे निकाल लूं कि अगर फिर से कुछ नया हो गया तो क्या होगा? यही वजह है कि लोग परेशान हो रहे हैं।

लोग 2500 रोज निकाल सकते हैं, ज्यादा परेशानी नहीं होनी चाहिए। लेकिन समस्या यह है कि अभी बैंकों और एटीएम में कैश नहीं है। सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए।

उत्‍तराखंड के देहरादून में ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हिमानी बिंजोला का कहना है कि नोटबंदी के दौर ने नई राह दिखाई है। ऑनलाइन खरीदारी और भुगतान करना सीख लिया। पहले रेलवे के रिजर्वेशन काउंटर पर लंबी लाइन में लगते थे, लेकिन इस बीच जितने भी टिकट कराए, सब ऑनलाइन ही कराए। मैंने देखा कि यह सब आसान है।

रेलवे स्टेशन पर टिकट की लाइन में लगने की प्रक्रिया काफी कठिन होती है। जब आप घर बैठे टिकट बुक करा सकते हैं। डेबिट कार्ड से पेमेंट कर सकते हैं तो फिर हाथ में कैश लेकर घंटों रेलवे स्टेशन पर लाइन में लगने की क्या जरूरत है। पिछले एक महीने में मैंने महसूस किया है कि कैशलेस व्यवस्था कितनी अच्छी है। बस अपने मन से थोड़ा डर निकालना होगा।

ख़बरों के मुताबिक़ ऐसे ही न जाने कितने लोग हैं जिन्होंने नोटबंदी से राहत पाने के लिए और अपनी जिन्दगी को बराबर पटरी पर लाने के लिए ऐसे ही कुछ तरीके खोज निकाले हैं।

इन सभी लोगों का यही मानना है कि नोट बैन का लिया गया फैसला यकीनन बड़ा है और कोई न कोई बड़ा बदलाव लाएगा।

क्योंकि किसी महान इंसान ने कहा है कि जिस काम की आलोचनाएं होना शुरू हो जाएं मान लो वहीं काम एक दिन इतिहास के पन्नों पर याद किया जाएगा।

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