सुब्रमण्‍यम स्वामी साबित हुए कमजोर कड़ी, सोनिया-राहुल को मिली राहत

नेशनल हेराल्ड केस नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी को राहत मिल गई है। वहीं, उनके खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले सुब्रमण्‍यम स्वामी को तगड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने पटियाला हाउस कोर्ट का फैसला स्थगित करते हुए कहा है कि CRPC के सेक्शन 91 के तहत कोई भी ऑर्डर देने से पहले आरोपी पक्ष को सुना जाना जरूरी है, जो इस मामले मेंं नहीं किया गया।

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नेशनल हेराल्ड केस

पटियाला हाउस कोर्ट ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी उस मांग को स्वीकार कर लिया था जिसमें कांग्रेस और एसोसिएटेड जर्नल प्राइवेट लिमिटेड की वित्तीय जानकारी से जुड़े कागजात समन करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को कांग्रेस और एसोसिएट जर्नल लिमिटेड (AJL) की इनकम टैक्स बैलेंस शीट और मंत्रालयों के कागजात सौंपने का आदेश दिया था। अब हाईकोर्ट ने इस फैसले को स्थगित कर दिया है।

हाईकोर्ट ने कहा कि स्वामी न तो गवाहों की लिस्ट के साथ इन कागजातों को जोड़ पाए और न ही यह बता पाए कि ट्रायल में इन कागजातों की क्या अहमयित है। कोर्ट ने अपने आदेश मेंं कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी मंगलवार के इस आदेश के खिलाफ़ अपील कर सकते हैं।

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नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी, मोतीलाल वोहरा, ऑस्कर फर्नाडीस, सुमन दूबे व सैम पित्रोदा आरोपी हैं। इस मामले में 20 फरवरी को भी कोर्ट ने डीडीए सहित अन्य विभाग से इस मामले से जुड़े कुछ कागजात को समन करके मंगवाया था। जिनको सील कवर में रखा गया है, क्योंकि गांधी व अन्य की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले को सीज कर लिया था।

उधर, अब खबर यह भी है कि नेशनल हेराल्ड और दो अन्य अखबारों को जल्द शुरू किया जाएगा। कांग्रेस के कोषाध्‍यक्ष मोतीलाल वोहरा ने बताया है कि द एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) ने जनवरी में अपने अखबारों नेशनल हेराल्ड, कौमी आवाज और नवजीवन को फिर से शुरू करने का फैसला किया। क्रियान्वयन की प्रक्रिया जारी है।

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हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया है कि इन तीनों अखबारों का प्रिंट वर्जन शुरू किया जाएगा या नहीं। आठ साल से इन अखबारों के प्रकाशन पर रोक लगी हुई है। वाेहरा ने कहा है कि फिलहाल इन्हें केवल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर फिर से शुरू करने की बात की गई है।

उन्होंने बताया कि लखनऊ की बैठक में एजेएल ने एक गैरलाभकारी कंपनी में बदलने का और उसके अखबारों को फिर से शुरू करने का फैसला किया था। एजेएल की स्थापना पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नवंबर 1937 में की थी। कंपनी और उसके द्वारा प्रकाशित अखबारों- नेशनल हेराल्ड, कौमी आवाज और नवजीवन ने स्वतंत्रता आंदोलन की आवाज के तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

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