नहीं मिला किसी का साथ , ट्विटर द्वारा मांग रहे हैं मदद इमरान खान…
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान अब दुनिया के सामने गुहार लगा रहे हैं. वहीं देखा जाये तो पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी चीन का दौरा कर रहे हैं. साथ ही चीन से जम्मू – कश्मीर के लिए मदद मांग रहे हैं.
बतादें कि चारों ओर से निराशा हाथ लगते देख पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ट्विटर पर अब गिड़गिड़ाने की मुद्रा में आ गए हैं. इमरान खान ने ट्विटर पर भारत के खिलाफ झूठे आरोपों की बौछार कर दी है और कहा है कि क्या दुनिया के नेता इस बारे में कोई कदम उठाएंगे.
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इमरान खान ने कहा है कि कश्मीर में कर्फ्यू है और वहां पर कश्मीरियों के साथ ज्यादती की जा रही है. इमरान खान ने दुनिया के सामने गुहार लगाते हुए कहा कि क्या वर्ल्ड लीडर्स इस मामले में कुछ पहल करेंगे. इमरान खान का आरोप है कि कश्मीर की आबादी का पैटर्न बदलने की कोशिश की जा रही है.
वहीं इमरान के आरोपों से इतर जम्मू-कश्मीर में हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं. श्रीनगर में शनिवार और रविवार बकरीद की जमकर खरीदारी हुई. राज्य में लोग बकरीद परंपरागत हर्ष और उल्लास से मना सकें इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कई कोशिशें की है.
भारत को दुनिया के कई देशों से जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाने के फैसला का समर्थन मिल चुका है. इस फैसले पर भारत का समर्थन रूस ने भी किया था. रूस ने साफ शब्दों में कहा था कि जम्मू और कश्मीर को दो भागों में विभाजित और केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला संविधान के अनुसार ही लिया गया था. रूस ने कहा था, मॉस्को को उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर राज्य पर दिल्ली द्वारा लिए गए फैसले पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में वृद्धि नहीं होगी.
वहीं इस मसले पर चीन ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने के फैसले का प्रत्यक्ष रूप से जिक्र नहीं करते हुए कहा था, प्राथमिकता यह है कि प्रासंगिक पक्ष को चाहिए कि वह यथास्थिति को एकतरफा बदलने से बाज आए और तनाव न बढ़ाए.
पाकिस्तानी मीडिया नियामक प्राधिकरण ने मीडिया संस्थानों से कहा है कि वे ईद-उल-अजहा पर पहले से रिकॉर्ड किए कार्यक्रमों या विशेष कार्यक्रमों को लाइव प्रसारित न करें, क्योंकि इससे न केवल हमारे राष्ट्र, बल्कि कश्मीरी भाइयों की भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है.
दरअसल नियामक प्राधिकरण ने शनिवार को जारी एक अधिसूचना में कहा, “कश्मीर के साथ एकजुटता जताने के लिए, ईद-उल-अजहा को धार्मिक पर्व के रूप में सादगी के साथ मनाया जा रहा है. इसलिए, यह अनुरोध किया जाता है कि कोई विशेष कार्यक्रम (पहले से रिकॉर्ड या नियोजित लाइव) न हों. ईद के जश्न के रूप में प्रसारित होने के कारण इससे न केवल हमारे राष्ट्र, बल्कि कश्मीरी भाइयों की भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है.