अमिताभ बच्‍चन सुकून देने वाला ठंडा नवरत्‍न तेल बेच बुरा फंसे, मैगी से भी बड़ा बवाल शुरू  

नवरत्‍न तेलवाराणसी। देश में मैगी की तरह ठंडे तेल का कारोबार करोड़ों रुपए का है। बड़े से बड़े फिल्मी सुपरस्टार जनता से ठंडा तेल लगाने की अपील करते हैं लेकिन अनिद्रा, सर दर्द, जुकाम, थकान और टेंशन से मुक्ति देने का दावा अब सवालों के घेरे में है। BHU न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. वीएन मिश्रा ने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को ट्वीट कर लिखा है की ‘मैं खुद आपका बहुत बड़ा फैन हूं और मैं ही नहीं दुनिया के न जाने कितने लोग आप के फैन हैं जो आप को फॉलो भी करते हैं। ऐसे में आप जिस ठंडे तेल के विज्ञापन में सिर दर्द, अनिद्रा, बदन दर्द, मोच जैसी तमाम बातें अपने विज्ञापन के लोगों को बताते हैं दरअसल वो सरासर गलत है। इसीलिए अगर आप को विश्वास नहीं तो आप खुद इसका इस्तेमाल कर देख सकते हैं।

बीएचयू न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में हुए दिलचस्प रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि ठंडे तेल में अत्यधिक कपूर लोगों को एडिक्ट बना रहा है। जैसे लोग एल्कोहल के आदि बनते हैं, ठीक वैसे ही ठंडे तेल से मरीजों की संख्या ओपीडी में लगातार बढ़ रही है। न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. वीएन मिश्रा ने बताया की उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, बंगाल समेत कई बड़े राज्यों में कपूर युक्त ठंडा तेल लगाने से लोग मानसिक तौर पर गंभीर बीमारी के साथ-साथ इस तेल से नेत्रहीन तक हो रहे हैं। 700 से ज्यादा ऐसे मरीजों पर रिसर्च की गई जो पांच सालों से ज्यादा समय से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इतना ही नहीं 74 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं इसकी आदि हैं।

यही नहीं न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. वीएन मिश्रा ने अमिताभ बच्चन को ट्वीट करते हुए ये भी लिखा है की इस विज्ञापन में आपको जो भी आर्थिक नुकसान होगा उसकी भरपाई मैं खुद कर दूंगा लेकिन आप इस विज्ञापन को करना बंद करें।

डॉ. मिश्रा बताते हैं कि पूर्वांचल, यूपी, बिहार, एमपी, झारखंड में बिकने वाले प्रसिद्ध ठंडे तेलों का सैंपल लिया गया। जिसके रैपर पर ही चौकाने वाले स्लोगन लिखे हैं। पहली बात तो बीमारी का इलाज कंपनी के लोग कैसे कर रहे हैं। मुख्य ब्रांडेड के ऐसे 6 तरह के ठंडे तेल का सैंपल जुटाया गया इसमें प्रति 100 एमएल में कपूर की मात्रा 0.25 मिलीग्राम से लेकर 1000 मिलीग्राम तक थी और चीजों में मंजिष्ठा, खास कर लौंग, चंदन, तिल का तेल, जायफल, केवड़ा, तुलसी अदि भी मिला है।

लेकिन कपूर की मात्रा आवश्यकाता से बहुत ज्यादा दी जा रही है। जो इंसान को सेवन के बाद इसका आदि बना देती है। ‘सिनामोमम कैम्फोरा’ नाम के पेड़ से कपूर बनाया जाता है। कपूर को दवाई की तरह सदियों से इस्तेमाल किया जाता है। घरेलू नुस्खों में हृदय और दिमाग की तेजी के लिए, सर्दी के लिए इसका इस्तेमाल आज भी लोग करते हैं। लेकिन रिसर्च में कुछ चीजें निकलकर सामने आई हैं जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है। बता दें की कपूर जब एक निश्चित मात्र से ये ज्यादा होता है तो जहरीला हो जाता है। अगर 50 से 500 मिलीग्राम प्रति एक लीटर इसका इस्तेमाल लिया जाए तो इससे उलटी, अकड़न, मिर्गी आ सकता है और तो और ये आपको नेत्रहीन भी कर सकता है।

इसको लेकर 1983 में अमेरिका की खाद्य एवं दवाई मानक संस्था USFDA ने अपने देश में हानिकारक मानक तय कर दिए। लेकिन भारत जैसे विकासशील देश में ऐसी कोई लगाम नहीं लगाई गई। अब ये क्यों जहरीला है, ये अभी रिसर्च का टॉपिक है। फिलहाल रिसर्च में ये तो स्पष्ट हुआ है कि कपूर बेहद खतरनाक है।

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