दूसरी शादी करने जा रहे है तो पढ़े SC का आदेश, वरना बन जाएंगे अपराधी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पहली पत्नी से ‘कस्टमरी डिवोर्स’ लेने के बाद यदि कोई शख्स दूसरी शादी कर लेता है तो उसे मान्यता नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि कानून के मुताबिक दूसरी शादी तभी की जा सकती है जब वह किसी और वैवाहिक संबंध में न हो। कोर्ट ने यह बात 2010 में हुए एक अंतर्जातीय विवाह के संबंध में सुनाई। पति की नशे की आदत की वजह से वैवाहिक जीवन में परेशानी खड़ी हो गई। पत्नी परेशान होकर अपने मायके चली गई। बाद में उसे पता चला कि शख्स की पहले भी एक शादी हो चुकी थी। पत्नी ने अपनी शादी को खत्म करने के लिए पुणे कोर्ट में याचिका दी थी।

पत्नी ने आरोप लगाया कि शादी के वक्त शख्स ने झूठ बोला और खुद को बैचलर बताया था। पत्नी के पास मौजूद स्पेशल मैरिज ऐक्ट के दस्तावेजों में भी पहली पत्नी से तलाक के कागजात नहीं थे। इसका मतलब कानूनी तौर पर वह एक वैवाहिक संबंध में था।

वहीं पति ने कहा कि महिला की तरफ से दबाव के चलते उसे दूसरी शादी करनी पड़ी। उसने कहा कि महिला ने खुदकुशी की धमकी दी थी। उसने कहा कि दूसरी शादी से पहले उसने पहली पत्नी को ‘कस्मटमरी डिवोर्स’ दिया था इसलिए शादी मान्य है। कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज कर दी।

कस्टमी डिवोर्स का मतलब बिना कोर्ट में गए किसी को सामान्य तौर पर तलाक देकर अलग हो जाना है। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की। जस्टिस एल नागेश्वर राव और एमआर शाह की एक बेंच ने दूसरे विवाह को अवैध बताया है। बेंच ने कहा कि स्पेशल मैरिज ऐक्ट के सेक्शन 4 के मुताबिक शादी के समय कोई भी पक्ष वैवाहिक संबंध में नहीं होना चाहिए।

हालांकि कोर्ट ने कहा कि जब भी किसी को पता चलता है कि उसका पार्टनर कानूनी रूप से दूसरे वैवाहिक संबंध में है, वह इसे खत्म करने की याचिका दे सकता है। जस्टिस शाह ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘पति को यह प्रूव करना चाहिए कि उसके समुदाय में कस्टमरी डिवोर्स को मान्यता दी गई है। बिना सबूत के कोर्ट यह नहीं मान सकता कि शख्स ने पहली पत्नी को तलाक दिया है।’

LIVE TV