दुनिया के लिए साथ आए पोप फ्रांसिस और ग्रैंड इमाम

पोप फ्रांसिस ने यमन, सीरिया और पश्चिम एशिया के अन्य देशों में सैन्य शक्ति के तर्क को खारिज किया है. वह इस्लाम की जन्मस्थली माने जाने वाल अरब प्रायद्वीप पहुंचे और वहां ईसाइयों व मुस्लिमों को संदेश दिया कि लड़ाई से केवल तकलीफ मिलती है.

वह अरब प्रायद्वीप पहुंचने वाले पहले पोप हैं. यमन विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे यूएई की राजधानी अबु धाबी में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘युद्ध से दुख और हथियारों से मौत के सिवा कुछ नहीं मिलता.’ यहां एक इंटर रिलिजियस मीटिंग को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘इसके नतीजे हम देख चुके हैं. मैं खासतौर पर यमन, सीरिया और लीबिया के बारे में सोच रहा हूं.’

बता दें कि यमन में करीब चार साल से जारी विद्रोह में अब तक लाखों लोग मारे जा चुके हैं. युद्ध के चलते करीब डेढ़ करोड़ लोग गंभीर भुखमरी से जूझ रहे हैं.

इस कार्यक्रम में मिस्र के अल-अजहर मस्जिद के ग्रैंड इमाम अहमद अल-तैयब भी शामिल हुए. उन्होंने मिडिल ईस्ट में रहने वाले मुस्लिमों से अपील की कि वे ईसाइयों के साथ मिलकर रहें. उन्होंने कहा कि ईसाइयों को अल्पसंख्यक न समझकर देश का हिस्सा समझें.

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शेख तैयब ने कहा, ‘आप देश के जिम्मेदार नागरिक हैं जिनके पास सारे अधिकार हैं.’ उन्होंने दुनिया के अन्य देशों में रह रहे मुस्लिमों से भी अपील की कि वे अपने-अपने देश के कानून का पालन करें और मानवता की दिशा में कदम बढ़ाएं.

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