यहां भूख का नहीं लिया जाता कोई हिसाब, ये दुनिया का सबसे बड़ा किचन

दुनिया का सबसे बड़ा किचनआप ने दुनिया के कई देशों और शहरों के बारे में सुना और वहां गए भी होंगे. किसी भी जगह पर घूमने के साथ खाने-पीने की व्यवस्था अच्छी हो तो सफर की सारी थकान दूर हो जाती है. ऐसी ही जगहों में एक है. पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित स्वर्ण मंदिर है. यह सबसे बड़ा आकर्षण है. अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है. स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं. इस मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा किचन हैं.

इस जगह लोग श्रद्धाभाव से आते हैं. यहां हर रोज हजारों लोगों को खाना खिलाया जाता है.

यहां धर्म-जाति नहीं देखी जाती है. लोग निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं. मंदिर में सभी को आने और खाने की इजाजत है. इस मेगा किचन में रोज एक लाख लोग भोजन करते हैं.

इस जगह जो भी आता है वह कभी भी खाली पेट नहीं लौटता. इसे ‘गुरु का लंगर’ कहा जाता है.

दुनिया के सबसे बड़े किचन की विशेषताएं

इस लंगर की परंपरा को गुरु नानक देव ने शुरु किया और गुरु अमरदास ने इसे आगे बढ़ाया. मुगल बादशाह अकबर ने भी आम लोगों के साथ बैठकर प्रसाद खाया था.

यहां दो किचन हैं, जहां 24 घंटे काम होता है. लोगों को लंगर में खाना खिलाने के लिए वालंटियर्स हर रोज तीन लाख बर्तन धोते हैं.

खाना बनाने के लिए रोज 100 से ज्यादा एलपीजी सिलेंडर्स और 5000 किलो लकड़ी का इस्तेमाल होता है. खाना बनाने के लिए करीब 500 स्टाफ के अलावा सैकड़ों आम लोग वालंटियर्स के तौर पर काम करते हैं.

यहां रोज लगभग 12000 किलो आटा, 13000 किलो दाल, 1500 किलो चावल और 2000 किलो सब्जियों का इस्तेमाल होता है. साथ ही रोजाना लगभग दो लाख रोटियां बनाई जाती हैं.

रोटी मेकिंग मशीन एक घंटे में 25000 रोटियां बना सकती हैं. इसके अलावा हाथ से भी रोटियां बनाई जाती हैं.

खीर बनाने के लिए 5000 लीटर दूध, 1000 किलो चीनी और 500 किलो घी का इस्तेमाल करते है.

दुनिया भर से आए दान से इस खाने का खर्च किया जाता है.

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