दिल के दौरे से खुद हो बचाना, तो इन 9 बातों को अपने दिमाग में बिठाना

दिल अभी विश्व हृदय का महीना चल रहा है। ऐसे में अपने शरीर के अंग को स्वस्थ दिल बनाने के लिए काम करना चाहिए। अगर समय रहते जीवनशैली में सुधार कर लिया जाए तो दिल की बीमारी ठीक हो सकती है। नौ ऐसी बातें हैं, जिन्हें बदल कर दिल के दौरे को टाला जा सकता है। जीवनशैली संबंधी नौ सुधार में धूम्रपान, डिस्लिपडेमिया, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, पेट का मोटापा, साइकोसोशल फैक्टर, नियमित तौर पर शराब का सेवन, आहार में फल और सब्जियों की कमी और एक ही जगह बैठे रहने वाली जीवनशैली शामिल हैं।

90 प्रतिशत लोगों को इनसे से किसी या कुछ चीजों की वजह से दिल का दौरा पड़ता है। इन बुरी आदतों में सुधार करके आने वाली दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया, “घर पर दिल को सेहतमंद बनाने वाली आदतें अपना कर दिल की ज्यादातर बीमारियों को कम किया जा सकता है। बच्चों को शुरू से ही धूम्रपान के बुरे प्रभाव के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए, सेहतमंद आहार और नियमित व्यायाम के फायदे बताने चाहिए।

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बच्चों को भविष्य में अपनाई जाने वाली आदतों को प्रभावित करने में मां-बाप अहम रोल निभा सकते हैं। अगर मां-बाप धूम्रपान करते हों, तनावपूर्ण और सुस्त जीवन बिताते हों तो बच्चों में भी यह आदतें पड़ जाएंगी।”

इन बातों का ध्यान रखें :

  • सेहतमंद खाद्य पदार्थो के विकल्प घर पर रखें।
  • जंक और पैकेटबंद खाना खाने से परहेज करें, उसमें अत्यधिक चीनी, वसा और नमक होता है।
  • ताजा फल और सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें। मीठा खाने की इच्छा को आम और दूसरे मीठे फल खाकर पूरी करें।
  • घर पर अपने खाने के लिए और बच्चे के टिफिन के लिए सेहतमंद और सृजनात्मक लंच बनाएं।
  • घर पर धूम्रपान करने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाएं, इससे न सिर्फ आपकी सेहत अच्छी रहेगी, बल्कि बच्चों की सेहत भी अच्छी रहेगी और वह इस आदत को अपनाने के प्रति उत्साहित भी नहीं होंगे। धूम्रपान छोड़ कर आप अपने बच्चों के लिए बेहतर आदर्श बन सकते हैं।
  • टीवी देखने और वीडियो गेम खेलने के घंटे कम और निश्चित करें और शारीरिक गतिविधियों को अपनाएं।
  • साइकिल चलाना, पहाड़ पर चढ़ना और बाग में खेलने जैसे गतिविधियों में भाग लें।
  • अपने सीवीडी के खतरे को पहचानें।
  • स्वास्थ्य सलाहकार के पास जाकर अपना रक्तचाप, कॉलेस्ट्राल, ग्लोकोज स्तर, वजन और बॉडी मास इंडेक्स की जांच करवाएं और अपने खतरों की जानकारी लें।
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