दिल्ली में सांस पर आपातकाल! सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
देश की राजधानी दिल्ली में सांस पर आपातकाल लग गया है। आलम ये है कि प्रदेश के वायु प्रदूषण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। जिसपर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली और उत्तरी राज्यों में वर्तमान में पराली जलाना प्रदूषण का प्रमुख कारण नहीं है। क्योंकि यह प्रदूषण में केवल 10% योगदान देता है। इसी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और एनसीआर क्षेत्र के राज्यों से इस बीच कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम पर विचार करने को कहा। केंद्र द्वारा कल होने वाली आपात बैठक में पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा के मुख्य सचिवों को भी उपस्थित रहने को कहा गया है। वहीं, सुनवाई 17 नवंबर के लिए स्थगित कर दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से कल शाम तक जवाब मांगा है कि किन उद्योगों को रोका जा सकता है, किन वाहनों को चलने से रोका जा सकता है और किन बिजली संयंत्रों को रोका जा सकता है और आप तब तक वैकल्पिक बिजली कैसे उपलब्ध करा सकते हैं। कोर्ट ने केंद्र को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए निर्माण कार्य, गैर-जरूरी परिवहन, बिजली संयंत्रों को रोकने और वर्क फ्रॉम होम लागू करने जैसे मुद्दों पर कल एक आपात बैठक बुलाने का निर्देश दिया है।
बता दें कि दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार इससे निपटने के लिए अपने स्तर से कई फैसले ले रही है। सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द इस समस्या से निपटा जाए। केजरीवाल सरकार ने फैसला लिया है कि आज से 17 नवंबर तक स्कूल एक हफ्ते तक के लिए बंद कर दिया गया है। वहीं दिल्ली के बाद हरियाणा सरकार ने भी बड़ा कदम उठाया है। फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर में चल रहे स्कूलों को 17 नवंबर तक बंद करने का फैसला लिया है। इस सबंध में सरकार ने रविवार को आदेश दिया कि यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।