दादी-नानी के नुस्‍खे : घरेलू उपायों से खुद करें इन बीमारियों का इलाज

दादी-नानी के नुस्‍खेआज की दौड़ भाग भरी जिंदगी ने इंसान को बीमार बना दिया है। हर इंसान किसी न किसी बीमारी से पीडि़त है। ज्‍यादातर लोग एलोपैथिक दवाओं के सहारे अपनी जिंदगी काट रहे हैं। बाजार में मिलने वाली ये अंगेजी दवाएं इंसान को त्‍वरित लाभ तो देती हैं लेकिन अंदर ही अंदर शरीर को खोखला बना देती हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं दादी-नानी के नुस्‍खे, जिन्‍हें प्रयोग करके आप स्‍वस्‍थ जिंदगी पा सकते हैं।

दादी-नानी के नुस्‍खे

स्‍वास्‍थ्‍य रहने के लिए पहली शर्त है कि आप अपने निवास स्‍थान को स्‍वच्‍छ और साफ रखें। हैज़ा या फ्लू आदि से बचने के लिये बाथरूम का उपयोग करने के बाद या खाना खाने से पहले हमेशा हाथों को दो मिनट तक साबुन से धोएं।

खाने में प्रचुर मात्रा में हल्‍दी का प्रयोग करें। इसमें पाया जाने वाला लिपोपोलिसेकराईड तत्‍व हमारे इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाकर बीमारियों से रक्षा करता है। हो सके तो सप्‍ताह में दो बार रात को सोने से पहले दूध में एक छोटा चम्‍मच हल्‍दी उबाल कर पान करें। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। हल्दी में मौजूद पीला रंग का करक्यूमिन (Curcumin)सूजन दूर करता है।

खाद्य पदार्थों का भंडारण सही तरीके से करें और एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं की तारीख देखने के बाद ही लें।

किशमिश में फायबर और नैचुरल लक्सएटिव्ज होता है, कब्‍ज दूर करने के लिये एक मुट्ठी किशमिश को पूरी रात पानी में भिगोएं और सुबह खाली पेट इसे खाएं।

कब्ज दूर करने के लिए 100 ग्राम पालक का जूस सुबह इतने ही पानी में मिलाकर पीने से चमत्कारिक फायदा मिलता है।

त्रिफला चूर्ण को सुबह खाली पेट गर्म पानी से या फिर शहद के लेने से कब्ज और पेट की बाकी समस्याएं दूर होती हैं।

अवसाद से ग्रस्‍त हों तो केले का सेवन अवश्‍य करें। इससे न सिर्फ आपके शरीर को एनर्जी मिलेगी बल्कि इसमें मौजूद ट्राइप्टोफान नामक एमिनो एसिड आपके  मूड को भी रिलैक्स करता है।

आयुर्वेद में नीम का बहुत महत्‍व होता है। हो सके तो सुबह नीम की दातून करें, दांतों और मुंह की बीमारियों से निजात मिलेगी । नीम की पत्तियों और तेल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं और जले हुए स्‍थान पर नीम का तेल या पत्‍तों को पीस कर लगाने से राहत मिलती है।

किशमिश में फायबर और नैचुरल लक्सएटिव्ज होता है, कब्‍ज दूर करने के लिये एक मुट्ठी किशमिश को पूरी रात पानी में भिगोएं और सुबह खाली पेट इसे खाएं।

केसर के संतुलित सेवन से बदहजमी, पेट-दर्द, पेट में मरोड़, गैस, एसिडिटी आदि हाजमे से संबंधित शिकायतें दूर होती हैं।

गपुदीने के पत्तों को चबाकर खाने से पेट हल्का हो जाता है। आप इसकी चाय बनाकर भी पी सकते हैं। इसकी चटनी का सेवन हो सके तो गर्मियों मे अवश्‍य करें।

बंद आंखों पर गुलाब जल में भिगोई हुई रूई को आंखों पर 10 मिनट के लिए रखें। इससे आंखों के आस पास की त्‍वचा चमक उठेगी।

अदरक के टुकड़ों या इसमें नमक मिलाकर चूसने से खांसी में राहत मिलती है।

शहद में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और आयरन होता है जो सेहत के लिए लाभकारी है। इसका नियमित सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।

तुलसी और दही का फेसपैक त्वचा के रूखेपन को दूर करता है और उसमें निखार लाता है।

सिर दर्द होने पर चंदन और केसर को मिलाकर सिर पर इसका लेप लगाने से सिर दर्द में राहत मिलती है।

नींबू के रस में नमक मिलाकर सुबह-सुबह पीने से पेट साफ रहता है और गैस और कब्ज में राहत मिलती है।

धानुसार खाना अच्‍छे से चबाकर खाने से आसानी से पचता है। जिससे पेट के आसपास अतिरिक्‍त चर्बी जमा नहीं होती है।

मेथी के दानों में काला नमक मिलाकर सेवन करने से कब्ज में तुरंत राहत मिलती है।

खाने को कम से कम 30-35 बार तक चबाकर खाएं। कई बार पौष्टिक और संतुलित खाना खाते समय लोग उसे सिर्फ दस से पंद्रह बार ही चबाते हैं। जिससे पेट से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं। खाना चबाकर खाने से कब्ज दूर होती है, दांत मजबूत होते हैं, भूख बढ़ती है आैर कब्ज व एसिडिटी नहीं होती है।

भोजन बैठकर ही खाएं, क्योंकि चलते-चलते खाना खाने से पाचन क्रिया पर असर पड़ता है। बैठकर खाते समय हम सुखासन की स्थिति में होते हैं, जिससे कब्ज, मोटापा, एसिडिटी आदि पेट संबंधित बीमारियां नहीं होती हैं।

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