दलित वर्ग को साधने में कांग्रेस को मिली जीत, बीजेपी की ये बयान बाजी ही गलत हो गई

नई दिल्ली। हिन्दी भाषी तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) में कांग्रेस सत्ता वापसी करने जा रही है। इन सभी प्रदेशों के विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत मिली है। जिसके बाद यहां कांग्रेस का सीएम बनना तय हो गया है। इन सबके बाची पार्टी के लिए एक बड़ी खबर यह है कि इन राज्यों में एससी और एसटी की आरक्षित सीटों पर चुने गए प्रतिनिधियों में कांग्रेस की हिस्सेदारी बढ़कर दोगुनी होने की ओर है। वहीं, 2013 के मुकाबले बीजेपी की हिस्सेदारी आरक्षित सीटों पर घटकर आधी रह जाएगी।

देर रात के रुझानों के अनुसार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के लिए 181 आरक्षित सीटों में कांग्रेस ने 108 पर बढ़त हासिल थी। जोकि साल 2013 के 42 सीटों के मुकाबले दोगुना से ज्यादा है। वहीं बीजेपी महज 59 सीटों पर आगे रही। इन आरक्षित सीटों पर पार्टी को कुल 128 प्रतिनिधियों के मुकाबले यह संख्या करीब आधी से भी कम है।

एससी-एसटी सीटों पर बीजेपी को हुए नुकसान की वजह

दलित अधिकारों से जुड़ी संस्थाओं की मानें तो एससी-एसटी सीटों पर बीजेपी को हुए तगड़े नुकसान की बड़ी वजह केंद्र और राज्य में उसकी सरकारों द्वारा इस साल 2 अप्रैल को आयोजित भारत बंद को नियंत्रित करने के तौर तरीके को माना जा रहा है। यह प्रदर्शन एससी-एसटी एक्ट में बदलावों को लेकर था। राजस्थान और मध्य प्रदेश में हुए प्रदर्शनों की बात करें तो इस समुदाय के सैकड़ों लोग गिरफ्तार किए गए थे। प्रदर्शन के दौरान 10 लोगों की जानें भी गई थीं।

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उधर, दो राज्यों में बीजेपी के सीट शेयर में भी बड़ा नुकसान होता नजर आ रहा है। राजस्थान की बात करें तो यहां कुल 33 एससी आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र में बीजेपी के 31 विधायक थे। यह हिस्सेदारी अब घटकर महज एक तिहाई यानी 10 रह गई है। वहीं, कांग्रेस का इन सीटों पर एक भी विधायक नहीं था। आखिरी ट्रेंड्स के मुताबिक, पार्टी 20 एससी सीटों पर आगे थी।

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मध्य प्रदेश में भी बीजेपी को आरक्षित सीटों पर नुकसान होता देखने को मिली है। यहां एसी आरक्षित सीटों पर अभी तक कांग्रेस के 4 विधायक थे। अब यहां कांग्रेस के एससी विधायकों की संख्या बढ़कर 4 गुनी हो सकती है।

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